दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े करप्शन और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 11 दिसंबर को उनकी जमानत की शर्तों में संशोधन किया। अब उन्हें हफ्ते में दो बार जांच एजेंसियों के दफ्तर में हाजिरी लगाने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, अदालत ने निर्देश दिया है कि सिसोदिया नियमित रूप से ट्रायल में उपस्थित हों।
सिसोदिया ने जताया आभार
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर न्यायपालिका के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने लिखा,
“माननीय सुप्रीम कोर्ट का हृदय से आभार, जिसने ज़मानत की शर्त को हटाकर राहत प्रदान की है। यह निर्णय न केवल न्यायपालिका में मेरी आस्था को और मजबूत करता है, बल्कि हमारे संवैधानिक मूल्यों की शक्ति को भी दर्शाता है। मैं हमेशा न्यायपालिका और संविधान के प्रति अपने कर्तव्यों का सम्मान करता रहूंगा। जय भीम, जय भारत।”
जमानत मिलने का कारण
सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त 2024 को आबकारी नीति घोटाले के मामलों में मनीष सिसोदिया को जमानत दी थी। अदालत ने यह कहते हुए उन्हें राहत दी थी कि मुकदमे में तेजी से निपटारे की संभावना नहीं है और आरोपी को अनिश्चितकाल तक जेल में नहीं रखा जा सकता। मामले में हजारों पन्नों के दस्तावेज और 493 गवाह शामिल हैं।
सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी की दलीलें
आज हुई सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के सामने सिसोदिया का पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि जमानत की शर्तों में बदलाव आवश्यक है, क्योंकि सिसोदिया जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं और नियमित उपस्थिति की शर्त अनावश्यक हो चुकी है।
पृष्ठभूमि
आबकारी नीति घोटाले में सिसोदिया पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं। यह मामला प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा जांचा जा रहा है। आरोप है कि नई आबकारी नीति में शराब कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों का उल्लंघन किया गया। हालांकि, सिसोदिया ने इन आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मनीष सिसोदिया को राहत मिली है और उन्होंने इसे न्यायपालिका में अपनी आस्था की पुष्टि बताया।