पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 64 दिनों से मरण व्रत पर बैठे हैं। उनकी मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी कानून की है। आज उन्होंने अपने संघर्ष और किसानों के अधिकारों को लेकर एक संदेश जारी किया।
पत्रकारों का धन्यवाद और देशवासियों से अपील
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सबसे पहले सभी पत्रकारों का धन्यवाद करते हुए कहा, “आप सभी ने इस आंदोलन की आवाज़ को देश और दुनिया तक पहुंचाने का काम किया है। इसके लिए मैं आपका दिल से आभारी हूं।” उन्होंने आगे कहा कि उनके माध्यम से वे पूरे देश के किसानों तक यह संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि MSP की गारंटी कानून हर किसान की मांग है।
उन्होंने याद दिलाया कि पिछले आंदोलन के दौरान कुछ राज्यों के किसानों ने पंजाब के किसानों पर यह आरोप लगाया था कि वे आंदोलन को अधूरा छोड़कर जा रहे हैं। डल्लेवाल ने स्पष्ट किया कि वे ऐसा कोई आरोप पंजाब के सिर पर नहीं लगने देना चाहते। MSP कानून न केवल पंजाब के किसानों के लिए बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए जरूरी है।
आंदोलन जारी रखने का संकल्प
अपने संदेश में उन्होंने कहा, “यह लड़ाई मेरी नहीं है। यह परमात्मा की मर्जी है। उसने हमें इस आंदोलन का हिस्सा बनाया है। जो भी हमने किया, वह अकाल पुरख की कृपा से ही संभव हो सका। देशभर के किसानों, मजदूरों और आम लोगों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है। मैं सभी का दिल से धन्यवाद करता हूं।”
डल्लेवाल ने यह भी बताया कि उन्होंने डॉक्टरों की सलाह पर कुछ मेडिकल सहायता ली है, जिससे उनकी उल्टियां रोकी गई हैं। लेकिन जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होंगी, उनका मरण व्रत जारी रहेगा।
मांगें पूरी होने तक संघर्ष जारी रहेगा
किसान नेता ने कहा कि MSP की गारंटी न केवल पंजाब के पानी और कृषि को बचाने के लिए जरूरी है, बल्कि यह पूरे देश के किसानों के अधिकारों की बात है। उन्होंने यह भी दोहराया कि यह लड़ाई केवल पंजाब की नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों की है।
जन समर्थन और संघर्ष की ताकत
खनौरी बॉर्डर पर जारी इस आंदोलन को स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर भारी समर्थन मिल रहा है। कई किसान संगठनों, सामाजिक संगठनों और आम जनता ने डल्लेवाल के इस मरण व्रत के प्रति एकजुटता दिखाई है।
जगजीत डल्लेवाल का यह संदेश उन सभी किसानों और मजदूरों के लिए प्रेरणा है जो अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं। आंदोलन की यह दृढ़ता यह दर्शाती है कि जब तक किसानों की आवाज़ नहीं सुनी जाती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।