
म्यांमार में 28 मार्च 2025 को एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.7 मापी गई। भूकंप का केंद्र मांडले के पास था और इसके प्रभाव से आसपास के कई इलाके प्रभावित हुए। इस झटके के बाद 6.4 तीव्रता का एक और झटका महसूस किया गया, जिससे नुकसान और बढ़ गया। कई इमारतें ढह गईं, सड़कों में दरारें आ गईं और संचार सेवाएं बाधित हो गईं।
भूकंप से जान-माल का नुकसान
अब तक मिली जानकारी के अनुसार, इस आपदा में 144 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। कई इमारतें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।
थाईलैंड समेत अन्य देशों में भी झटके महसूस किए गए
म्यांमार में आए इस भूकंप के झटके सिर्फ इसी देश तक सीमित नहीं रहे, बल्कि थाईलैंड, बांग्लादेश और भारत के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए। बैंकॉक में ऊंची इमारतें हिल गईं और एक निर्माणाधीन इमारत गिरने से 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हुए।
आपातकाल घोषित, राहत अभियान तेज
म्यांमार सरकार ने सागाइंग, मांडले, बागो, म्यागवे, शान स्टेट और नेपीडॉ में आपातकाल घोषित कर दिया है। सेना और आपदा प्रबंधन एजेंसियां राहत कार्यों में लगी हुई हैं। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से सहायता की अपील की है ताकि प्रभावित लोगों तक भोजन, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान पहुंचाया जा सके।
बचाव कार्य और सुरक्षा उपाय
राहत एजेंसियां प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान चला रही हैं। मलबे में दबे लोगों को निकालने का प्रयास जारी है। स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने के लिए डॉक्टरों और राहत दलों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया है। सरकार ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने की सलाह दी है।
भूकंप से उत्पन्न चुनौतियां
म्यांमार पहले से ही कई आंतरिक संघर्षों और आर्थिक संकट से जूझ रहा था, और अब यह प्राकृतिक आपदा स्थिति को और खराब कर सकती है। बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है। संचार सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है।
अंतरराष्ट्रीय मदद और आगे की राह
संयुक्त राष्ट्र और कई अंतरराष्ट्रीय संगठन म्यांमार की सहायता के लिए आगे आए हैं। पड़ोसी देश भी राहत सामग्री भेज रहे हैं। हालांकि, हालात को सामान्य करने में समय लग सकता है।
यह भूकंप म्यांमार के लिए एक बड़ी आपदा साबित हुआ है। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और हर संभव मदद देने की कोशिश कर रहे हैं।