पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी, नवजोत कौर सिद्धू, ने कैंसर को मात दी है। गुरुवार को इस खबर की घोषणा करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि उनकी पत्नी अब पूरी तरह से कैंसर फ्री हो चुकी हैं। नवजोत कौर सिद्धू का हाल ही में पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन कराया गया था, जिसमें यह जानकारी सामने आई कि वे अब कैंसर से पूरी तरह मुक्त हैं। यह खबर सिद्धू परिवार के लिए एक बड़ी राहत और खुशी का पल है, खासकर इस कठिन समय में जब नवजोत कौर सिद्धू ने एक लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी।
कैंसर के खिलाफ जंग: हिम्मत और संकल्प का अद्वितीय उदाहरण
नवजोत कौर सिद्धू को स्टेज-4 इनवेसिव कैंसर था, जो एक बेहद खतरनाक और जटिल अवस्था मानी जाती है। डॉक्टर्स ने इलाज की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन नवजोत कौर ने इस बीमारी के खिलाफ संघर्ष जारी रखा। नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि उनकी पत्नी ने इस बीमारी से जूझने के लिए अपनी जीवनशैली और आहार में बड़ा बदलाव किया। सिर्फ 40 दिनों में अपने संकल्प और सही देखभाल से उन्होंने इस बीमारी को हराया।
इलाज की प्रक्रिया और जीवनशैली में बदलाव
नवजोत कौर सिद्धू ने कैंसर का इलाज पटियाला के सरकारी अस्पताल में करवाया, जिसमें राजेंद्र मेडिकल कॉलेज जैसी संस्थाएं शामिल थीं। सिद्धू परिवार ने इस कठिन समय में अपनी दिनचर्या और आहार में विशेष बदलाव किए। नवजोत कौर ने विशेष रूप से नींबू पानी, कच्ची हल्दी, एप्पल साइडर विनेगर, नीम के पत्ते और तुलसी जैसी आयुर्वेदिक चीजों का सेवन किया। इसके साथ ही, उन्होंने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-कैंसर खाद्य पदार्थों का सेवन किया, जैसे अखरोट, चुकंदर, कद्दू, आंवला और अनार।
फास्टिंग और खाने के समय में बदलाव
नवजोत कौर ने बताया कि कैंसर से जूझते समय उनकी दिनचर्या में फास्टिंग का भी अहम योगदान था। उन्होंने कहा, “कैंसर में खाने के समय में गैप रखें, मीठा न खाएं और कार्बोहाइट्स का सेवन न करें, तो कैंसर सेल्स अपने आप मरने लगते हैं।” इस जीवनशैली का पालन करते हुए उन्होंने हर दिन शाम 6 बजे के बाद खाना बंद कर दिया और अगले दिन सुबह नींबू पानी के साथ दिन की शुरुआत की। इसके बाद 10-12 नीम के पत्ते चबाकर खाती थीं, जो उनके इलाज में सहायक रहे।
नवजोत सिंह सिद्धू का बदलाव और सफलता
नवजोत सिंह सिद्धू ने भी अपनी पत्नी के साथ इस आहार और जीवनशैली को अपनाया। इससे न केवल उनकी पत्नी को लाभ हुआ, बल्कि नवजोत सिंह सिद्धू ने भी अपनी सेहत में सुधार किया। उन्होंने अपने फैटी लिवर की समस्या को समाप्त किया और 25 किलो वजन भी घटा लिया। सिद्धू परिवार के इस बदलाव ने एक सकारात्मक संदेश दिया है कि संकल्प और सही जीवनशैली के साथ किसी भी बीमारी का मुकाबला किया जा सकता है।
कैंसर से संघर्ष और परिवार का सहयोग
नवजोत कौर सिद्धू ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उनका कैंसर एक बार फिर से बेटे की शादी के बाद लौट आया था। इस दौरान उन्होंने अपनी जान बचने के बारे में संदेह जताया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इस गंभीर स्थिति का बहादुरी से सामना किया। उनका यह संघर्ष और सकारात्मक सोच अन्य कैंसर मरीजों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
नवजोत कौर सिद्धू का यह संघर्ष और उनकी सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि उनके परिवार के लिए भी गर्व का विषय है। सिद्धू परिवार ने अपनी कठिन यात्रा और कड़ी मेहनत से यह साबित किया कि कोई भी बीमारी, चाहे वह कितनी भी गंभीर हो, केवल हिम्मत और विश्वास से हराई जा सकती है। यह कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं।