
कनाडा में लिबरल पार्टी के नए नेता मार्क कार्नी ने अपनी विजय भाषण में डोनाल्ड ट्रंप पर जमकर निशाना साधा। 59 वर्षीय कार्नी ने साफ कहा कि “अमेरिकियों को कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए, हम हॉकी में भी जीतते हैं और व्यापार में भी कनाडा जीतेगा!”
ट्रंप-कनाडा विवाद क्या है?
डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से कनाडा पर तंज कसते आए हैं। कई बार उन्होंने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य कह दिया और इसके प्रधानमंत्री को “राज्य का गवर्नर” बता दिया। ट्रंप ने अमेरिका में कनाडा से आयात होने वाले उत्पादों पर 25% टैरिफ (कर) लगाया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया। जवाब में कनाडा ने भी अमेरिका पर टैरिफ लगा दिया।
जस्टिन ट्रूडो, जो कनाडा के प्रधानमंत्री थे, उन्होंने ट्रंप पर आरोप लगाया कि वे कनाडा की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। अब मार्क कार्नी ने भी ट्रंप के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।
कार्नी की चेतावनी – “अमेरिका हमें सम्मान दे!”
कार्नी ने ट्रंप पर हमला बोलते हुए कहा, “वे हमारे श्रमिकों, परिवारों और व्यापार पर हमला कर रहे हैं। हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे!” उन्होंने यह भी साफ किया कि कनाडा अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर टैरिफ जारी रखेगा, जब तक कि अमेरिका कनाडा को पूरा सम्मान नहीं देता।
“कनाडा अमेरिका का हिस्सा नहीं बनेगा!”
ट्रंप के “कनाडा अमेरिका का 51वां राज्य बन सकता है” वाले बयान पर कार्नी ने जोरदार पलटवार किया। उन्होंने कहा, “कनाडा कभी भी, किसी भी तरह से अमेरिका का हिस्सा नहीं होगा!” उन्होंने आगे कहा कि, “अमेरिका हमारे संसाधन, हमारी ज़मीन, हमारा पानी और हमारा देश चाहता है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे!”
कनाडा में बदलाव क्यों हो रहा है?
कनाडा की लिबरल पार्टी की नेतृत्व की दौड़ जनवरी में शुरू हुई थी, जब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। ट्रूडो लगभग 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे, लेकिन बढ़ती महंगाई, आवास संकट और जनता की नाराजगी के कारण उन पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ गया था।
अपने विदाई भाषण में ट्रूडो ने कहा कि “कनाडा को अमेरिका से खतरा है और हमें अपनी अर्थव्यवस्था बचाने के लिए मजबूत फैसले लेने होंगे।”
अब आगे क्या होगा?
मार्क कार्नी ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं – वह अमेरिका के दबाव में नहीं झुकेंगे और कनाडा की स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे। अब देखना यह होगा कि ट्रंप और कार्नी के बीच यह टकराव कितना आगे बढ़ता है और इसका दोनों देशों के संबंधों और व्यापार पर क्या असर पड़ता है?