भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) पंजाब में 15 सड़क परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अभी 103 किलोमीटर जमीन की आवश्यकता है। वर्तमान में NHAI पंजाब में कुल 1,344 किलोमीटर लंबाई वाले 37 प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।
इन प्रोजेक्ट्स में से कई किसान विरोध और जमीन की कमी के कारण लंबे समय से अटके हुए हैं। जिन सड़क परियोजनाओं के लिए जमीन की जरूरत है, उनमें दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, ब्यास-डेरा बाबा नानक, अमृतसर-अबोहर-फाजिल्का, अमृतसर बाईपास, मोगा-बाजाखाना, अमृतसर-बठिंडा, दक्षिणी लुधियाना बाईपास, लुधियाना-बठिंडा और लुधियाना-रूपनगर मार्ग शामिल हैं।
12,500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 12,500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का ऐलान किया है। इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद जम्मू-कश्मीर और पंजाब को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI एयरपोर्ट) से जोड़ा जाएगा। इसके लिए तीन एक्सप्रेसवे से सीधी कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जाएगी। प्रोजेक्ट्स के पूरा होने के बाद लोगों को दिल्ली आने की जरूरत नहीं होगी।
बेहतर कनेक्टिविटी के फायदे
UER-II (अर्बन एक्सटेंशन रोड) से KMPE (कोंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे) होकर दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे तक कनेक्टिविटी जम्मू-कश्मीर और पंजाब से आने वाले वाहनों को बड़ी सुविधा प्रदान करेगी। इससे यात्री सीधे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर पहुंच सकेंगे।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के जरिए ट्रोनिका सिटी और अलीपुर के पास UER-II से सीधी कनेक्टिविटी हरियाणा और राजस्थान से देहरादून जाने वाले वाहनों को सहूलियत देगी। देहरादून से आने वाले वाहनों को UER-II और द्वारका एक्सप्रेसवे से IGI एयरपोर्ट तक वैकल्पिक संपर्क मिलेगा।
यात्रा समय में कमी
इन प्रोजेक्ट्स के पूरा होने के बाद यात्रा का समय भी कम हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर, देहरादून से दिल्ली तक का सफर जो पहले डेढ़ घंटे में पूरा होता था, वह अब सिर्फ 45 मिनट में संभव हो सकेगा।
पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लिए लाभ
इस परियोजना के पूरा होने से पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लोगों को सीधे IGI एयरपोर्ट और दिल्ली के अन्य प्रमुख मार्गों से जुड़ने का मौका मिलेगा। यह न केवल यात्रा को आसान बनाएगा बल्कि व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
NHAI के इन प्रोजेक्ट्स के साथ पंजाब में बुनियादी ढांचे में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा। हालांकि, जमीन अधिग्रहण और किसानों के विरोध जैसी चुनौतियों को प्राथमिकता से सुलझाने की जरूरत है ताकि इन प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा किया जा सके।