
भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की भारत वापसी का रास्ता अब लगभग साफ हो गया है। ब्रिटेन की अदालत ने उसकी भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर अंतिम अपील को भी खारिज कर दिया है। इससे साफ हो गया है कि अब नीरव मोदी को भारत भेजने में कोई कानूनी अड़चन नहीं बची है।
क्या है मामला?
नीरव मोदी पर भारत में 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का आरोप है। यह देश के सबसे बड़े बैंक घोटालों में से एक है। आरोप लगने के तुरंत बाद नीरव देश छोड़कर भाग गया था और साल 2019 में लंदन में गिरफ्तार हुआ। तब से वह वैंडस्वर्थ जेल में बंद है।
अंतिम अपील भी खारिज
नीरव मोदी की कानूनी टीम ने यूके की अदालत में दलील दी थी कि उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है और अगर उसे भारत भेजा गया तो उसकी मानवाधिकारों का हनन होगा। उन्होंने कहा कि नीरव को डिप्रेशन है और उसके मन में आत्महत्या के विचार आते हैं। साथ ही भारत की जेलों की स्थिति को लेकर भी चिंता जताई गई।
लेकिन यूके की जस्टिस विक्टोरिया शार्प, जो किंग्स बेंच डिवीजन की प्रेसिडेंट हैं, ने इन दलीलों को खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि भारत सरकार ने पर्याप्त भरोसा दिया है कि नीरव मोदी के साथ भारत में इंसाफ होगा और उसे उसके अधिकारों के तहत सही इलाज और सुरक्षा मिलेगी।
भारत सरकार की भूमिका
भारत सरकार की ओर से क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) ने अदालत में पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि भारत की जेलें नीरव मोदी की देखभाल में सक्षम हैं और उसका इलाज भी ठीक से किया जाएगा। अदालत ने इन तर्कों और सबूतों को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया।
क्या होगा अब?
अब जब यूके की अदालत ने नीरव मोदी की अपील को खारिज कर दिया है, तो उसे जल्द ही भारत भेजा जा सकता है। हालांकि, यह प्रक्रिया कुछ हफ्तों तक चल सकती है क्योंकि ब्रिटेन की गृह मंत्रालय से औपचारिक मंजूरी की जरूरत होती है। लेकिन अब कोई कानूनी रुकावट नहीं बची है।
क्यों है यह फैसला अहम?
यह फैसला भारत सरकार की एक बड़ी कानूनी जीत मानी जा रही है। नीरव मोदी जैसे हाई-प्रोफाइल भगोड़े को वापस लाना आसान नहीं था। इससे यह संदेश भी जाता है कि भारत अब आर्थिक अपराधियों को बख्शने वाला नहीं है, चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में छिपे हों।