जनवरी 2009 में जब ठंड अपने चरम पर थी और तापमान केवल 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी महत्वाकांक्षी “विकास यात्रा” की शुरुआत की। इस यात्रा का उद्देश्य बिहार के ग्रामीण इलाकों में जाकर जनता से सीधा संवाद करना और उनकी समस्याओं का मौके पर समाधान करना था। छह चरणों में यह यात्रा शुरू हुई और जून की तपती लू के दौरान समाप्त हुई। मुख्यमंत्री ने इस दौरान 20 जिलों का दौरा किया और अपने अधिकारियों के साथ टेंट में रात्रि विश्राम किया।
रात्रि विश्राम और जनता दरबार का आयोजन
नीतीश कुमार हर दिन किसी एक गांव में रुकते और वहां जनता दरबार का आयोजन करते। इस कार्यक्रम के जरिए वह आम लोगों से सीधे संवाद करते और उनकी समस्याओं का मौके पर ही समाधान किया जाता। गांव के लोगों के साथ जुड़ने और सरकारी योजनाओं का प्रभाव देखने के लिए यह यात्रा एक अनूठा प्रयास था।
विकास यात्रा की शुरुआत और सांस्कृतिक गतिविधियां
विकास यात्रा की शुरुआत पश्चिम चंपारण जिले के बगहा स्थित पतिलार गांव से हुई। यहां पहला रात्रि विश्राम हुआ। इस यात्रा के दौरान हर ठहराव स्थल पर बिहार गौरव गान और सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन होता था। इसके अलावा, स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते थे, जहां मुफ्त स्वास्थ्य जांच और चश्मों का वितरण किया जाता था।
लोक कलाकारों की प्रस्तुति
रात्रि विश्राम के दौरान शाम को लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां आयोजित होती थीं। सीतामढ़ी की एक ऐसी ही शाम में, जब लोक कलाकारों ने पारंपरिक गीत प्रस्तुत किए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य नेता पहली पंक्ति में बैठकर इस सांस्कृतिक आयोजन का आनंद ले रहे थे। लोकगीतों का यह माहौल यात्रा की थकान को मिटाने का काम करता था।
कैबिनेट की बैठक भी बनी विशेष आकर्षण
विकास यात्रा के तीसरे चरण में 10 फरवरी 2009 को पहली बार पटना से बाहर बेगूसराय जिले के बरबीघी गांव में कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में 33 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। यह कदम ग्रामीण इलाकों में शासन को मजबूत करने और जनता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
चुनिंदा स्थलों पर रात्रि विश्राम
यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने कई स्थानों पर रात्रि विश्राम किया। इनमें पश्चिम चंपारण के पतिलार और कटैया, पूर्वी चंपारण के परशुरामपुर और बलुआ कोठी, सीतामढ़ी के परसौनी, मधुबनी के धकजरी, दरभंगा के कमलपुर, मुजफ्फरपुर के जारंग, समस्तीपुर के झकरा और बेगूसराय के बरबीघी शामिल थे।
लोकसभा चुनाव के चलते यात्रा में बदलाव
इस यात्रा के दौरान ही लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई, जिससे यात्रा को रोकना पड़ा। हालांकि, विकास यात्रा को आठ चरणों में पूरा किया गया। इस यात्रा ने बिहार के ग्रामीण इलाकों में सरकारी योजनाओं का निरीक्षण, शिलान्यास और उद्घाटन जैसे कार्यों को भी बढ़ावा दिया।
मुख्यमंत्री का उद्देश्य
विकास यात्रा के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में सरकार की योजनाओं का प्रभाव देखना और लोगों की समस्याओं का समाधान करना था। इस यात्रा के जरिए उन्होंने लोगों का विश्वास जीता और अपनी सरकार की कार्यप्रणाली को मजबूत किया।
विकास यात्रा बिहार में सुशासन और जनसंपर्क की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी। यह यात्रा ठंड से लेकर गर्मी तक चली और इसने मुख्यमंत्री और जनता के बीच संवाद स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। गांव-गांव जाकर समस्याओं का समाधान और कैबिनेट बैठक जैसे कदम इस यात्रा की खासियत रहे।