
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। यह मुलाकात पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पहली बार हुई, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। माना जा रहा है कि इस बैठक में हमले के बाद बनी सुरक्षा स्थिति और आतंकवाद के खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों पर गहन चर्चा हुई।
बैठक से पहले नेशनल कांफ्रेंस से जुड़े सूत्रों ने बताया था कि उमर अब्दुल्ला प्रधानमंत्री को यह भरोसा देंगे कि केंद्र सरकार द्वारा लिए गए किसी भी सुरक्षा से जुड़े फैसले में जम्मू-कश्मीर प्रशासन पूरी तरह से सहयोग करेगा। खासकर, हमले का बदला लेने और आतंकवाद से निपटने में राज्य सरकार केंद्र के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी।
फारूक अब्दुल्ला ने की शांति की अपील
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने आतंक के खिलाफ सभी लोगों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि जो लोग इस तरह की हिंसा में शामिल हैं, वे इंसानियत के दुश्मन हैं और उन्हें नरक की आग में जलना पड़ेगा।
फारूक अब्दुल्ला हमले में मारे गए आदिल हुसैन शाह के घर भी गए। आदिल पहलगाम में पोनी राइड ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहे थे और इस हमले में मारे गए 26 लोगों में से एक थे। बाकी पीड़ित अधिकतर पर्यटक थे। आदिल के परिवार से मिलकर उन्होंने संवेदना प्रकट की और कहा कि सरकार को ऐसे निर्दोष लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई पर रखी चुप्पी
पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियों को समर्थन दिए जाने के मुद्दे पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान पर क्या कदम उठाना है, यह फैसला प्रधानमंत्री का अधिकार है। उन्होंने कहा कि वे इस पर कोई बयान नहीं देंगे, लेकिन पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियां न सिर्फ भारत बल्कि खुद पाकिस्तान के लिए भी खतरनाक हैं।
बिलावल भुट्टो के बयान पर दिया जवाब
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी द्वारा दिए गए उकसावे वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि इस तरह की धमकियों से हालात नहीं सुधरते। उन्होंने साफ किया कि ऐसे बयानों पर ध्यान देना ठीक नहीं है, क्योंकि इससे कश्मीर की तरक्की और शांति प्रभावित होती है।
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्कता
इस पूरी स्थिति को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। केंद्र सरकार भी राज्य की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है। उमर अब्दुल्ला और प्रधानमंत्री के बीच हुई इस अहम बैठक से यह संकेत मिलता है कि अब आतंकवाद के खिलाफ और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।
यह मुलाकात न सिर्फ राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि इससे यह भी साफ हो गया है कि जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को लेकर केंद्र और राज्य मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं।