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जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महत्वपूर्ण मुलाकात की, जिसमें राज्य का दर्जा बहाल करने पर चर्चा हुई। उमर अब्दुल्ला अपनी सरकार की ओर से केंद्रीय सरकार को एक प्रस्ताव सौंप सकते हैं, जिसमें जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की गई है। यह प्रस्ताव हाल ही में नेशनल कांफ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार की पहली मंत्रिमंडल बैठक में पारित किया गया था।
इससे पहले, उमर अब्दुल्ला ने गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की थी। इन बैठकों के दौरान भी राज्य का दर्जा बहाल करने का मुद्दा चर्चा में रहा। यह राजनीतिक कदम घाटी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
नेशनल कांफ्रेंस की चुनावी जीत और राज्य का दर्जा
हाल ही में हुए जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनावों में उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस ने 90 विधानसभा सीटों में से 42 सीटों पर जीत हासिल की। इस चुनावी जीत के बाद उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए केंद्र सरकार से अपील करना है। इसके लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की भी सहमति ली गई है।
संविधानिक अधिकारों की बहाली
जम्मू और कश्मीर में 5 अगस्त 2019 के बाद से राज्य का दर्जा खत्म कर इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था। इसके साथ ही संविधानिक अधिकार भी सीमित हो गए थे। करीब पांच साल के बाद राज्य में हुए चुनाव और नई सरकार के गठन के साथ, राज्य का दर्जा बहाल होने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है।
अमित शाह से मुलाकात
बुधवार (23 अक्टूबर) को उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। दोनों के बीच लगभग 30 मिनट तक चली इस बैठक में जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा स्थिति और राज्य का दर्जा बहाल करने पर चर्चा हुई। अब्दुल्ला ने इस दौरान जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले की जानकारी भी साझा की, जिसमें गांदरबल जिले के गंगनगीर क्षेत्र में एक चिकित्सक समेत सात लोगों की जान गई थी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात
उमर अब्दुल्ला ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की, जिसमें राज्य की सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की गई। अब्दुल्ला ने सरकार की प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया और राज्य में शांति और विकास को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार से सहयोग की मांग की।
राज्य का दर्जा बहाली का महत्व
जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल राज्य की संवैधानिक स्थिति को पुनः स्थापित करेगा, बल्कि जनता के लिए कई अधिकारों को भी फिर से सुनिश्चित करेगा। यह कदम जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है।