
भारत ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया कि अब नया भारत आतंकवाद को सहन नहीं करता। बुधवार की देर रात भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल एयर स्ट्राइक कर उन्हें तबाह कर दिया। इस पूरे अभियान को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। सबसे खास बात यह रही कि इस ऑपरेशन में थल सेना, वायु सेना और नौसेना—तीनों सेनाओं ने एक साथ मिलकर हिस्सा लिया। 1971 की जंग के बाद यह पहला मौका है जब तीनों सेनाएं एकजुट होकर पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन में उतरीं।
सीमा पार 100 किलोमीटर अंदर तक किया गया हमला
भारतीय सेना ने जिन 9 ठिकानों को निशाना बनाया, उनमें से कई पाकिस्तान की सीमा में 100 किलोमीटर अंदर थे। बहावलपुर, जो पहले जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ माना जाता था, वहां पर सबसे बड़ा हमला किया गया। यह स्थान अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 100 किलोमीटर अंदर है। वहीं, मुरीदके 30 किलोमीटर और गुलपुर 35 किलोमीटर दूर स्थित हैं।
आतंकी संगठन बने निशाना
इन हमलों में खास तौर पर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को निशाना बनाया गया। सेना को पक्की जानकारी थी कि इन अड्डों से भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की योजना बनाई जा रही थी। इसलिए, सीधे इन ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।
कैसे हुआ हमला?
इस अभियान में भारत की सेनाओं ने आधुनिक तकनीक और खास हथियारों का इस्तेमाल किया। सबसे ज़्यादा चर्चा में रहे कामिकाजे ड्रोन या लॉइटरिंग अम्युनिशन—ये ऐसे ड्रोन होते हैं जो टारगेट पर जाकर खुद टकराकर विस्फोट करते हैं। इनका इस्तेमाल आतंकियों के ठिकानों को खत्म करने में हुआ। सेना ने स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन का मकसद पाकिस्तानी सेना को नहीं बल्कि आतंक के अड्डों को खत्म करना था। यानी हमला पूरी तरह से नियंत्रित और सटीक था।
पहलगाम हमले का जवाब
यह पूरा ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया। उस हमले में 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली यात्री की जान गई थी। उस हमले के बाद देश में आक्रोश था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संकेत दे दिए थे कि साजिश रचने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
सोच-समझकर दिया गया करारा जवाब
भारतीय सेना ने कहा कि यह हमला पूरी तैयारी और गहन सोच के बाद किया गया। किसी भी नागरिक क्षेत्र या पाकिस्तानी सेना के अड्डे को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। केवल वे जगहें निशाना बनीं जहाँ से भारत पर हमलों की साजिशें रची जा रही थीं।
दुनिया को दिया सख्त संदेश
इस ऑपरेशन के जरिए भारत ने साफ संदेश दे दिया कि अब आतंक के खिलाफ उसकी नीति सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि खतरे को खत्म करने की है। संयम बरतते हुए भी भारत अब सीधा जवाब देने में विश्वास रखता है।