
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया, जिसके तहत भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया गया। इस आदेश का आखिरी दिन 29 अप्रैल, सोमवार को था, लेकिन सरकार ने मानवीय आधार पर दो बार समयसीमा को बढ़ाया। आखिरी तारीख 30 अप्रैल, मंगलवार को तय की गई, और उसी दिन 104 पाकिस्तानी नागरिक अटारी-वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान लौट गए।
24 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच कुल 786 पाकिस्तानी नागरिक भारत से पाकिस्तान वापस गए, जिनमें 9 राजनयिक और अधिकारी भी शामिल थे। जब मंगलवार को आखिरी जत्था रवाना हुआ, तब शाम 5 बजे अटारी बॉर्डर का गेट आम आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया।
सरकार ने उठाए सख्त कदम
पहलगाम में हुए हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को लेकर सख्ती दिखाई।
सरकार ने न केवल पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए, बल्कि उन्हें 48 घंटे में देश छोड़ने का निर्देश दिया। इसके साथ ही यह चेतावनी भी दी गई थी कि अगर कोई तय समयसीमा के भीतर देश नहीं छोड़ता है, तो उसे तीन साल की जेल या तीन लाख रुपये का जुर्माना, या दोनों सजा हो सकती है।
अटारी बॉर्डर पर भावनात्मक दृश्य
मंगलवार को अटारी-वाघा सीमा पर कई भावनात्मक दृश्य देखने को मिले। कुछ लोग अपने रिश्तेदारों से बिछड़ने का गम लेकर जा रहे थे, तो कुछ के मन में भविष्य को लेकर डर और चिंता थी। कई लोगों ने साफ कहा कि वे भारत में अपने परिवार को छोड़कर नहीं जाना चाहते थे, लेकिन भारत सरकार के आदेशों के चलते उन्हें मजबूरन वापस लौटना पड़ा।
बॉर्डर पर ऐसा माहौल था जैसे किसी ने जबरन किसी को बिछुड़ने पर मजबूर कर दिया हो। भावनाओं से भरे चेहरों और नम आंखों के साथ कई पाकिस्तानी नागरिक पाकिस्तान की ओर रवाना हुए।
कुछ नागरिकों को मिली राहत
हालांकि सरकार ने दो बार समय सीमा में ढील देकर मानवीय दृष्टिकोण भी दिखाया। लेकिन फिर भी जो नागरिक तय सीमा में भारत नहीं छोड़ते, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान रखा गया।
राजनयिक भी हुए शामिल
जो 786 नागरिक वापस गए, उनमें 9 पाकिस्तानी अधिकारी और डिप्लोमैट भी शामिल थे। यह संकेत देता है कि भारत सरकार इस मुद्दे को केवल आम नागरिकों तक सीमित नहीं रख रही, बल्कि हर स्तर पर स्पष्ट और सख्त नीति अपना रही है।
भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते एक बार फिर तनावपूर्ण मोड़ पर हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर से सुरक्षा और विदेशी नागरिकों की उपस्थिति पर सवाल खड़े किए। इस पूरे घटनाक्रम में भारत सरकार ने न सिर्फ सख्त कदम उठाए बल्कि समयसीमा बढ़ाकर मानवीयता भी दिखाई।
जो पाकिस्तानी नागरिक भारत में रह रहे थे, उनमें से अधिकतर के मन में डर, चिंता और असमंजस था। लेकिन देश की सुरक्षा सबसे पहले है — इसी संदेश के साथ सरकार ने यह निर्णय लिया।