
पंजाब सरकार की “नशे के खिलाफ जंग” मुहिम को गांवों से अब मजबूत समर्थन मिल रहा है। बठिंडा ज़िले के गोनियाणा ब्लॉक की सभी पंचायतों ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। गांवों के सभी सरपंचों ने मिलकर एक प्रस्ताव पारित किया है कि अब उनके गांवों में जो भी व्यक्ति नशा बेचेगा, उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा और उसे किसी भी तरह की सामाजिक मदद नहीं दी जाएगी।
पंचायतें निभाएंगी अहम भूमिका
पंचायतों ने फैसला किया है कि अगर गांव में कोई व्यक्ति नशा बेचते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे तुरंत पुलिस के हवाले किया जाएगा और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई में पूरी मदद की जाएगी। इसके अलावा, जो लोग नशा छोड़कर सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं, पंचायतें उनका सम्मान करेंगी और उन्हें समाज में वापसी के लिए हर संभव मदद देंगी।
‘आप’ सरकार ने किया फैसले का स्वागत
आम आदमी पार्टी पंजाब के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता नील गर्ग ने इस फैसले की सराहना की है। उन्होंने कहा कि किसी भी आंदोलन को तब ताकत मिलती है जब आम लोग उसमें जुड़ते हैं। यह फैसला साबित करता है कि पंजाब के लोग अब नशे के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं और बदलाव की शुरुआत गांवों से हो रही है।
नील गर्ग ने कहा कि अब जब पंचायतें खुद आगे आ रही हैं, तो यह अभियान और भी ताकतवर बनेगा। उन्होंने कहा कि जब पंजाब नशा मुक्त होगा, तभी युवाओं का भविष्य सुरक्षित होगा और राज्य तरक्की की राह पर आगे बढ़ेगा।
सरकार की 360 डिग्री रणनीति
नील गर्ग ने बताया कि पंजाब सरकार नशे को जड़ से खत्म करने के लिए हर स्तर पर काम कर रही है। सरकार की रणनीति नशे की मांग और आपूर्ति, दोनों पर निशाना साधने की है। पिछले दो महीनों में हजारों नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ NDPS एक्ट के तहत FIR दर्ज की गई हैं। साथ ही हजारों किलो नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं।
नशा छुड़ाने के लिए केंद्र भी सक्रिय
सरकार ने राज्यभर में चल रहे सभी नशा मुक्ति केंद्रों को बेहतर और प्रभावी ढंग से चलाने के लिए कदम उठाए हैं। इन केंद्रों में नशे के आदी लोगों के इलाज और पुनर्वास के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। सरकार का मानना है कि केवल कानून से नहीं, बल्कि सामाजिक सहयोग और सकारात्मक माहौल से ही नशे को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।
गोनियाणा ब्लॉक की पंचायतों का यह साहसिक कदम एक मिसाल बन सकता है। जब गांव खुद नशे के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं और नशा तस्करों से दूरी बना लेते हैं, तो समाज में बड़ा बदलाव संभव होता है। यह पहल दिखाती है कि अगर जनता और सरकार साथ चलें, तो पंजाब को नशा मुक्त बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है।