
संसद का मानसून सत्र इस बार 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस बात की जानकारी केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान दी। उन्होंने बताया कि इस सत्र की तारीखों की सिफारिश रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बनी कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स ने की है।
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब विपक्षी पार्टियाँ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही थीं। इस पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए रिजिजू ने कहा कि नियमों के अनुसार, मानसून सत्र में सभी मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, चाहे वह कितने भी संवेदनशील क्यों न हों।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर होगी चर्चा
रिजिजू ने स्पष्ट किया कि सत्र के दौरान ऑपरेशन सिंदूर पर भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, “हर सत्र अपने आप में खास होता है और इस बार हम ऑपरेशन सिंदूर समेत सभी जरूरी मुद्दों पर बहस करेंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार की कोशिश है कि सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर चला जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष से लगातार संवाद कर रही है और उन्हें भरोसे में लेने की कोशिश की जा रही है ताकि सदन में एकजुटता दिखाई दे और संसद सुचारू रूप से चले।
विपक्ष का दबाव और सरकार का जवाब
गौरतलब है कि हाल ही में विपक्षी दलों ने सरकार पर दबाव बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर पर पारदर्शिता और विस्तार से जानकारी की मांग की थी। इस मिशन को लेकर सोशल मीडिया और राजनीति दोनों में चर्चा गर्म रही है। विपक्ष का कहना है कि इस तरह के सैन्य ऑपरेशन पर संसद में खुलकर चर्चा होनी चाहिए ताकि देश की जनता को इसकी पूरी सच्चाई पता चल सके।
सरकार ने अब स्पष्ट कर दिया है कि मानसून सत्र में इस पर चर्चा की जाएगी और इससे विपक्ष को एक मंच मिलेगा अपनी बात रखने का।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
हालांकि इस ऑपरेशन की तमाम जानकारियाँ सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक नहीं की गई हैं, लेकिन माना जा रहा है कि यह एक संवेदनशील सैन्य मिशन था, जिसमें भारतीय सेना की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
अब सभी की नजरें 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष किस तरह से ऑपरेशन सिंदूर और अन्य अहम मुद्दों पर आमने-सामने आते हैं। संसद का यह सत्र राजनीतिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है।