
अमेरिका में एक बार फिर जनता सड़कों पर उतर आई है। इस बार निशाने पर हैं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मशहूर उद्योगपति एलन मस्क। देश की अर्थव्यवस्था, सरकारी नौकरियों में कटौती, मानवाधिकार, टैरिफ और प्रशासन की नीतियों को लेकर लोगों ने विरोध जताया। शनिवार को पूरे अमेरिका में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए, जिनमें हजारों लोग शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ट्रंप और मस्क मिलकर अमेरिका को नुकसान पहुँचा रहे हैं। दोनों पर आरोप है कि वे अपने निजी फायदे के लिए देश की व्यवस्था और जनता के हितों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
150 से अधिक संगठनों का साथ
इस विरोध प्रदर्शन में नागरिक अधिकार संगठनों, वकीलों, पूर्व सैनिकों, श्रमिक संघों, एलजीबीटीक्यू+ समुदाय, और चुनाव कार्यकर्ताओं सहित 150 से ज्यादा संगठन शामिल हुए। यह प्रदर्शन सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों कनाडा और मेक्सिको में भी हुआ। प्रदर्शनकारियों ने एकता दिखाते हुए कहा कि वे अब और चुप नहीं बैठ सकते।
‘हाथ हटाओ’ बना मुख्य नारा
इस आंदोलन का प्रमुख नारा था — “हाथ हटाओ” (Hands Off)। कई प्रदर्शनकारी इसी स्लोगन की तख्तियां लेकर रैली में पहुंचे। यह नारा इस बात का प्रतीक बना कि जनता अब सरकार और कॉर्पोरेट शक्तियों की मनमानी को बर्दाश्त नहीं करेगी। इस विरोध की एक आधिकारिक वेबसाइट भी बनाई गई है, जहां इसे आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी जन-जागरूकता मुहिम बताया गया है।
मस्क और ट्रंप पर गंभीर आरोप
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि ट्रंप अब भी देश के प्रशासन पर प्रभाव डाल रहे हैं और अपनी नीतियों के ज़रिए जनता को नुकसान पहुँचा रहे हैं। एलन मस्क, जो अब सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) के प्रमुख माने जा रहे हैं, उन पर भी कॉर्पोरेट हितों को प्राथमिकता देने का आरोप है।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम यहां हैं क्योंकि टैरिफ और मंदी ने हमारी ज़िंदगी मुश्किल कर दी है।” एक अन्य ने कहा, “लोगों के पास रोजगार नहीं है, न ही ठीक से इलाज, आवास या भोजन की सुविधा। हम यहां इसलिए हैं क्योंकि सरकार ने हमारी आवाज सुनना बंद कर दी है।”
वाशिंगटन डीसी से लेकर फ्लोरिडा तक विरोध
अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी, और ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित निवास के पास भी बड़ी संख्या में लोग जुटे। वहां प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाज़ी की और सरकार से मांग की कि वह लोगों की परेशानियों पर ध्यान दे।
इस आंदोलन ने एक बार फिर दिखा दिया कि जब सरकार और शक्तिशाली लोग जनता के हितों के खिलाफ जाते हैं, तो लोग एकजुट होकर आवाज़ उठाते हैं। यह विरोध सिर्फ नीतियों के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि लोकतंत्र में जनता की आवाज सबसे ऊपर होती है।