यदि आप 6, 7 और 8 जनवरी को यात्रा करने की योजना बना रहे हैं और सरकारी बसों में सफर करने का सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। पंजाब में तीन दिनों तक सरकारी बसों का संचालन ठप रहेगा। पंजाब रोडवेज ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (पीआरटीसी) और पनबस के कर्मचारी यूनियन ने इन दिनों चक्का जाम करने का ऐलान किया है। इसका असर पूरे राज्य में दिखेगा और इन तारीखों में पीआरटीसी और पनबस बसें सड़कों पर नहीं चलेंगी।
प्रदर्शन और मांगें
यूनियन के अनुसार, वे अपनी मांगों को लेकर चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री की रिहायश के बाहर प्रदर्शन करेंगे। उनकी प्रमुख मांग ठेका कर्मचारियों को नियमित (स्थायी) करना है। यूनियन के नेताओं का कहना है कि बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद उनकी मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
पिछले महीने, पनबस और पीआरटीसी ठेका कर्मचारी यूनियन ने पंजाब के अलग-अलग इलाकों में मंत्रियों और विधायकों को ज्ञापन सौंपे थे। जालंधर डिपो 1 और 2 के कर्मचारियों ने कैबिनेट मंत्री महिंदर भगत और दोआबे के विधायकों से मुलाकात की थी। उन्होंने अपनी मांगों पर चर्चा की और ज्ञापन सौंपा।
यूनियन के वरिष्ठ नेताओं, जिनमें बिक्रमजीत सिंह, सतपाल सिंह सत्ता, जसबीर सिंह, और चन्नण सिंह चन्ना शामिल थे, ने कहा कि ठेका कर्मचारियों को नियमित करने में हो रही देरी से उन्हें संघर्ष का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
यूनियन का रोष और अगली योजना
यूनियन के नेताओं का कहना है कि विभागीय नीतियां और उनकी मांगों की अनदेखी ने उन्हें परेशानी में डाल दिया है। कई बार उन्हें आश्वासन दिया गया, लेकिन हर बार उनकी मांगों को टाल दिया गया। चन्नण सिंह ने कहा, “यदि हमारी मांगों का समाधान तुरंत नहीं निकला तो हमें बड़े पैमाने पर आंदोलन करना पड़ेगा।”
इसी के तहत, यूनियन ने 6, 7 और 8 जनवरी को पूरे राज्य में चक्का जाम करने का फैसला किया है। इन दिनों कर्मचारी काम का बहिष्कार करेंगे और जिला स्तर पर बड़े प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।
बस स्टैंड बंद करने की योजना
प्रदर्शन के दौरान यूनियन ने बस स्टैंडों को बंद रखने की योजना बनाई है। इसके तहत निजी बसों को भी बस स्टैंडों में प्रवेश करने से रोका जाएगा। प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ अपना रोष जताने के लिए वरिष्ठ मंत्रियों के पुतले फूंकेंगे।
यात्रियों को होगी परेशानी
सरकारी बसों के चक्का जाम के कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खासकर जो लोग इन तारीखों में सरकारी बसों में सफर करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें वैकल्पिक परिवहन साधनों की तलाश करनी होगी। निजी बसें और कैब सेवाएं इस दौरान यात्रियों की प्रमुख सहारा बन सकती हैं, लेकिन इन पर अधिक दबाव पड़ने की संभावना है।
सरकार का रुख
सरकारी स्तर पर इस मुद्दे को लेकर अब तक कोई ठोस बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि सरकार यूनियन के नेताओं से बातचीत कर स्थिति को सुलझाने की कोशिश करेगी।
पंजाब में तीन दिनों तक सरकारी बसों का संचालन ठप रहने से यात्री और आम जनता प्रभावित हो सकते हैं। यूनियन की मांगें जायज़ हो सकती हैं, लेकिन इस चक्का जाम से दैनिक जीवन पर असर पड़ेगा। अब यह देखना होगा कि सरकार और यूनियन के बीच बातचीत होती है या नहीं और समस्या का समाधान कैसे निकलता है।