पटना विश्वविद्यालय (पीयू) के लिए बड़ी खबर है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने पीएम उषा योजना के तहत पटना विश्वविद्यालय को 100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यह राशि शैक्षणिक और शोध संरचना को मजबूत बनाने के उद्देश्य से प्रदान की गई है। लंबे समय से इस अनुदान का इंतजार कर रहे पटना विश्वविद्यालय के लिए यह खबर विकास की नई राहें खोल सकती है।
पीएम उषा योजना के तहत राशि मंजूर
पटना विश्वविद्यालय ने पीएम उषा योजना के तहत इस अनुदान को पाने के लिए आवेदन किया था। बिहार सरकार की ओर से प्रस्ताव भेजे जाने के बाद केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दी। यह राशि पटना विश्वविद्यालय को रैंकिंग सुधारने, शैक्षणिक ढांचे को बेहतर बनाने और शोध के लिए प्रदान की गई है। देश के कई राज्यों को पीछे छोड़ते हुए पटना विश्वविद्यालय ने इस अनुदान को हासिल किया है, जो इसकी ऐतिहासिक उपलब्धि है।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने की अफवाह
100 करोड़ रुपये की स्वीकृति की खबर के साथ बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के एक ट्वीट ने हलचल मचा दी। उन्होंने ट्वीट किया कि पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिल गया है। हालांकि, कुछ समय बाद यह स्पष्ट हो गया कि यह केवल अनुदान की स्वीकृति है। डिप्टी सीएम ने अपना ट्वीट डिलीट कर स्थिति को साफ किया।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा अभी भी सपना
बिहारवासी और पटना विश्वविद्यालय के छात्र लंबे समय से इसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कई बार इस मुद्दे को उठाया है। 2017 में पटना विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने के अवसर पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना विश्वविद्यालय का दौरा किया था, तब भी नीतीश कुमार ने यह मांग की थी। हालांकि, अब तक यह मांग पूरी नहीं हुई है।
अनुदान से पटना विश्वविद्यालय को क्या लाभ होगा?
शिक्षा मंत्रालय की ओर से मिले इस अनुदान से पटना विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और शोध ढांचे को मजबूत किया जाएगा। इसमें विश्वविद्यालय की रैंकिंग सुधारने, नई रिसर्च सुविधाएं विकसित करने और इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत बनाने के लिए राशि का उपयोग होगा। यह अनुदान विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के लिए भी बड़ा लाभ साबित होगा।
100 करोड़ रुपये की राशि पटना विश्वविद्यालय के लिए बड़ी राहत और विकास का साधन है। हालांकि, सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने का सपना अभी अधूरा है। यह अनुदान विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और शोध संरचना को मजबूत करेगा, जिससे यह संस्थान बिहार के शिक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू सकेगा। पटना विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है, जो उनकी क्षमता और भविष्य को और बेहतर बनाएगा।