बिहार में मकर संक्रांति को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस अवसर पर नेताओं के आवासों पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया जा रहा है, जहां सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता एक साथ दिख रहे हैं। सोमवार को पटना में डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने अपने सरकारी आवास पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने अपने 3 स्ट्रैंड रोड स्थित आवास पर यह भोज स्वामी विवेकानंद जयंती पखवाड़ा (राष्ट्रीय युवा दिवस) और मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर आयोजित किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के लिए समस्तीपुर रवाना होने से पहले भोज में शामिल हुए और नेताओं से मुलाकात की।
पशुपति पारस के भोज पर टिकी निगाहें
पूर्व केंद्रीय मंत्री और रालोजपा प्रमुख पशुपति पारस के आवास पर होने वाले दही-चूड़ा भोज को लेकर भी चर्चाओं का दौर जारी है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान समेत कई प्रमुख नेताओं को आमंत्रित किया है। यह भोज राजनीतिक लिहाज से खास माना जा रहा है, क्योंकि इसके जरिए कई राजनीतिक समीकरणों पर चर्चा हो सकती है।
राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बना भोज
बिहार में मकर संक्रांति का त्योहार दही-चूड़ा भोज के लिए जाना जाता है। हालांकि, इस बार यह भोज सिर्फ परंपरा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक चर्चाओं की सुगबुगाहट भी साफ नजर आ रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा, एनडीए और महागठबंधन के भीतर संभावित बदलाव और आगामी कैबिनेट विस्तार पर भी इन भोजों के दौरान चर्चा होने की संभावना है।
खरमास के बाद कैबिनेट विस्तार की संभावना
बिहार में खरमास के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली कैबिनेट का विस्तार किया जाना है। ऐसे में मकर संक्रांति के भोज को नेताओं के बीच मेल-मिलाप और संभावित राजनीतिक रणनीतियों के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। सोमवार शाम और रविवार को पटना में पक्ष और विपक्ष के कई नेताओं के यहां ऐसे भोजों का आयोजन होगा।
नेताओं की सहभागिता
इस बार के भोजों में सत्ताधारी एनडीए और विपक्ष के नेताओं की सहभागिता ने राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है। भोज के माध्यम से नेताओं के बीच संबंधों को सुधारने और राजनीतिक गठजोड़ की संभावनाओं पर चर्चा का भी यह एक अवसर है।
मकर संक्रांति के इस पारंपरिक भोज ने बिहार के राजनीतिक माहौल को उत्सव और चर्चाओं का केंद्र बना दिया है।