बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल मच गई है, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार की सुबह-सुबह राज्यपाल से मुलाकात की। सीएम का काफिला राजभवन पहुंचा, लेकिन इस मुलाकात के उद्देश्य को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, इसे औपचारिक मुलाकात बताया जा रहा है, फिर भी यह मुलाकात राज्य में बढ़ते सियासी तापमान के बीच चर्चा का विषय बन गई है।
राजभवन क्यों पहुंचे नीतीश कुमार?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजभवन जाने की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि मुख्यमंत्री की मुलाकात राज्यपाल से बिहार में संभावित कैबिनेट विस्तार के सिलसिले में हो सकती है। बिहार के राजनीतिक पारे को इस मुलाकात ने और भी चढ़ा दिया है। इससे पहले, कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, जिन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद खारिज किया था। हालांकि, इन अटकलों के बावजूद यह मुलाकात सियासी हलकों में गर्मा-गर्मी का कारण बन गई है।
बिहार में सियासी अटकलें
पिछले कुछ दिनों से बिहार में सियासी माहौल गर्मा गया था। राज्य में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों के बीच राजद सुप्रीमो लालू यादव ने नीतीश कुमार को कई ऑफर दिए थे, जिस पर नीतीश कुमार ने खुद बयान देते हुए साफ किया था कि वह एनडीए के साथ ही सरकार में रहेंगे। इसके बावजूद राज्य की राजनीति में लगातार कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार किसी बड़े कदम की ओर बढ़ रहे हैं। इस बीच जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा का बयान भी आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 15 जनवरी से एनडीए के साथ उनका राजनीतिक सफर जारी रहेगा। उनका यह बयान राज्य की सियासत में नया मोड़ लेकर आया और इसके बाद यह कयास लगाए गए कि कहीं न कहीं बिहार की सियासत में कोई बड़ा बदलाव हो सकता है।
विधान परिषद चुनाव में भागीदारी
इसी बीच, बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए NDA के उम्मीदवार ललन प्रसाद ने नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा सहित कई बड़े नेता मौजूद रहे। इस नामांकन को लेकर NDA में एकजुटता और समर्थन का संदेश भी गया है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका संगठन चुनावों में पूरी ताकत से जुटा रहेगा और चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री की मुलाकात का महत्व
राज्यपाल से नीतीश कुमार की मुलाकात को लेकर सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। इस मुलाकात को औपचारिक बताया जा रहा है, लेकिन इसके पीछे राजनीतिक संदेश भी छिपा हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में आगामी समय में राजनीतिक बदलाव या किसी बड़े फैसले का संकेत इस मुलाकात से मिल सकता है।
2024 का चुनावी परिदृश्य
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू के लिए बिहार विधानसभा चुनाव 2024 में महत्वपूर्ण होंगे। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि मुख्यमंत्री अपनी पार्टी और एनडीए के साथ चुनावी लड़ाई में उतरेंगे या फिर कोई और रणनीति अपनाएंगे। हालांकि, संजय झा का यह बयान कि ‘हम एनडीए के साथ ही चुनाव लड़ेंगे’, इस बात की ओर इशारा करता है कि नीतीश कुमार का नेतृत्व फिलहाल एनडीए के साथ बना हुआ है।
कुल मिलाकर, बिहार की सियासत में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है और नीतीश कुमार की राज्यपाल से मुलाकात ने इस सियासी हलचल को और बढ़ा दिया है। अगले कुछ हफ्तों में बिहार की राजनीति में क्या नया मोड़ आता है, यह देखना दिलचस्प होगा।