
बुधवार को भारतीय मुद्रा रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 31 पैसे मजबूत होकर 85.05 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। मंगलवार को रुपया 85.36 रुपये प्रति डॉलर पर स्थिर रहा था। इस तेजी के पीछे देश में आर्थिक संकेतकों में सुधार और शेयर बाजार की मजबूती का बड़ा योगदान रहा।
घरेलू बाजार और महंगाई के आंकड़ों का असर
रुपए की इस मजबूती की मुख्य वजह घरेलू शेयर बाजारों में बढ़त और खुदरा महंगाई दर में गिरावट रही। अप्रैल महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर घटकर 3.16% रह गई, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे कम है। महंगाई में इस गिरावट से यह उम्मीद बढ़ गई है कि आम लोगों के खर्च पर थोड़ी राहत मिलेगी और रिज़र्व बैंक भविष्य में ब्याज दरों को घटाने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
तेल की कीमतें और विदेशी निवेशकों का असर
हालांकि कुछ ऐसे कारण भी रहे जिन्होंने रुपए की मजबूती को सीमित किया। इनमें सबसे अहम कारण है अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और विदेशी पूंजी का भारतीय बाजार से बाहर जाना। ब्रेंट क्रूड की कीमतें हल्की गिरावट के बाद 66.27 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं। इससे भारत की आयात लागत पर दबाव बढ़ सकता है क्योंकि भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है।
डॉलर इंडेक्स में गिरावट
दूसरी ओर, डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को दर्शाता है, वह 0.05% गिरकर 100.95 पर बंद हुआ। इसका मतलब यह है कि वैश्विक स्तर पर भी डॉलर थोड़ा कमजोर हुआ है, जिसका फायदा भारतीय रुपये को मिला।
शेयर बाजार में भी तेजी
बुधवार को शेयर बाजार में भी सकारात्मक रुख देखने को मिला। बीएसई सेंसेक्स 250.80 अंकों की बढ़त के साथ 81,399.02 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 58.45 अंक चढ़कर 24,636.80 पर पहुंच गया। यह निवेशकों के बीच बढ़ते भरोसे और बेहतर आर्थिक माहौल का संकेत है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली
हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने मंगलवार को 476.86 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की। इसका मतलब है कि विदेशी निवेशक अभी भी कुछ हद तक सतर्क नजर आ रहे हैं, लेकिन घरेलू निवेशकों की भागीदारी ने बाजार को मजबूती दी।
आरबीआई की अगली नीति पर नजर
अब सबकी नजर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की जून में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा पर टिकी है। चूंकि महंगाई के आंकड़े बेहतर आए हैं, इसलिए यह उम्मीद जताई जा रही है कि RBI रेपो रेट में कटौती कर सकता है, जिससे आम लोगों को लोन की ब्याज दरों में राहत मिल सकती है।
इस तरह, आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए ये संकेत सकारात्मक हैं और आने वाले दिनों में अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो रुपये और बाजार दोनों में और मजबूती देखने को मिल सकती है।