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दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का पवित्र प्रकाश पर्व आज पूरे देशभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस विशेष अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान अपनी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर के साथ रूपनगर (रोपड़) स्थित गुरुद्वारा श्री भट्ठा साहिब में नतमस्तक हुए। गुरुद्वारे में पहुंचकर उन्होंने सरबत के भले की अरदास की और गुरु साहिब की शिक्षाओं को आत्मसात करने का संदेश दिया।
भगवंत मान का संदेश
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पवित्र अवसर पर देशवासियों को प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “मेरी बहुत इच्छा थी कि मैं गुरुद्वारा श्री भट्ठा साहिब में नतमस्तक होऊं। आज मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ।” उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी की बलिदानी परंपरा और उनकी शिक्षाओं को याद करते हुए कहा कि गुरु साहिब द्वारा दी गईं कुर्बानियां पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 1666 में पटना साहिब (बिहार) में हुआ था। वे सिख धर्म के दसवें गुरु थे और उन्होंने समाज में न्याय, समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े। गुरु साहिब ने खालसा पंथ की स्थापना कर सिख समुदाय को संगठित और सशक्त किया। उनकी शिक्षाओं ने पूरे समाज को एक नई दिशा दी और उनकी बलिदानी परंपरा आज भी मानवता को प्रेरित करती है।
पवित्र अरदास और श्रद्धा
गुरुद्वारा श्री भट्ठा साहिब में भगवंत मान और उनके परिवार ने गुरु साहिब के चरणों में मत्था टेका और संगत के साथ मिलकर अरदास की। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएं हमें सच्चाई, साहस और मानवता का मार्ग दिखाती हैं।
प्रकाश पर्व का महत्व
गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व सिर्फ सिख समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए विशेष महत्व रखता है। उनकी शिक्षाएं हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करती हैं।
इस पवित्र अवसर पर देशभर के गुरुद्वारों में कीर्तन और अरदास के कार्यक्रम आयोजित किए गए। पटना साहिब, जो गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मस्थली है, में विशेष श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। श्रद्धालुओं ने लंगर में सेवा करते हुए गुरु साहिब की शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया।
गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन और उनकी शिक्षाओं को याद करते हुए, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पर्व को मानवता, सेवा और समर्पण का प्रतीक बताया।