पंजाब और हरियाणा की सीमा पर स्थित खनौरी हद पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल अब 71वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। डल्लेवाल पिछले कई दिनों से सिर्फ पानी पीकर अपनी हड़ताल जारी रखे हुए हैं। इस दौरान उनके समर्थक किसान भी लगातार इस मोर्चे पर जुट रहे हैं और अपनी आवाज़ उठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मंगलवार को हरियाणा के 50 से ज्यादा गांवों के किसान अपने खेतों से पानी लेकर इस मोर्चे पर पहुंचेंगे और डल्लेवाल के साथ यह पानी पीकर संघर्ष का हिस्सा बनेंगे।
यह संघर्ष केवल डल्लेवाल की भूख हड़ताल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पंजाब और हरियाणा के किसानों के लिए एक बड़ा आंदोलन बन चुका है। किसान नेताओं का कहना है कि उनका आंदोलन केंद्र सरकार से 13 प्रमुख मांगों को लेकर है, जिनमें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित अन्य कई मुद्दे शामिल हैं। किसान नेता इन मांगों को लेकर 11 से 13 फरवरी के बीच आयोजित होने वाली महापंचायतों को सफल बनाने की रणनीति बना रहे हैं। इसके लिए किसान विभिन्न गांवों में बैठकें कर रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इस आंदोलन में भाग लें।
11 फरवरी को रतनपुरा में महापंचायत होगी, जबकि 12 और 13 फरवरी को खनौरी और शंभू सीमा पर किसानों की महापंचायत आयोजित की जाएगी। इस महापंचायत में बड़ी संख्या में किसान शामिल होंगे और अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। इन महापंचायतों का मुख्य उद्देश्य 14 फरवरी को केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक से पहले अपनी मांगों को लेकर एक बड़ा दबाव बनाना है।
इसके अलावा, किसान 11 फरवरी को फिरोजपुर में एसएसपी कार्यालय का घेराव भी करेंगे। किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 विधानसभा चुनावों से पहले पंजाब में आकर किसानों से कई वादे किए थे, जिनमें से अधिकांश वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं। किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनकी समस्याओं को हल करने में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने किसानों से अपील की है कि वे इन महापंचायतों में बड़ी संख्या में शामिल हों, खासकर युवा और महिलाएं, ताकि इस आंदोलन को और ज्यादा ताकत मिल सके। उनका कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ किसानों के हक के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों के अधिकारों के लिए है।
इस संघर्ष के जरिए किसानों का लक्ष्य सरकार पर दबाव बनाना और अपनी 13 प्रमुख मांगों को पूरा करवाना है। किसान नेताओं का कहना है कि वे अपनी आवाज़ को शांतिपूर्वक और मजबूती से उठाएंगे, और सरकार से मिलने वाली किसी भी उम्मीद से ज्यादा कड़ी लड़ाई लड़ेंगे।