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बिहार में इस साल (2025) विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और चुनाव से पहले नीतीश सरकार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने की तैयारी में जुटी हुई है। माना जा रहा है कि बजट सत्र से पहले नए मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। इस बार 6 से 7 नए चेहरों को मंत्री पद मिलने की संभावना है।
जिनके पास ज्यादा विभाग हैं, उनके विभाग कम होंगे
वर्तमान में कई मंत्रियों के पास एक से अधिक विभागों की जिम्मेदारी है। सरकार अब ऐसे मंत्रियों से कुछ विभाग लेकर नए मंत्रियों को दे सकती है। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के पास तीन विभाग हैं, जबकि संतोष सुमन के पास भी तीन विभाग हैं। मंगल पांडेय, नीतीश मिश्रा और प्रेम कुमार के पास दो-दो विभाग हैं। कैबिनेट विस्तार के बाद इन मंत्रियों की जिम्मेदारी कम हो सकती है और नए नेताओं को मौका दिया जा सकता है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को छोड़ना पड़ सकता है मंत्री पद
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को मंत्री पद से हटाया जा सकता है। बीजेपी में “एक नेता, एक पद” का नियम लागू होता है, जिसके तहत कोई भी नेता दो पदों पर नहीं रह सकता। इससे पहले जब सम्राट चौधरी उपमुख्यमंत्री बने थे, तो उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था। ऐसे में दिलीप जायसवाल से भी मंत्री पद लिया जा सकता है।
जातीय समीकरण का रखा जाएगा ध्यान
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण का बड़ा असर होता है। इस बार कैबिनेट विस्तार में भी इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा। माना जा रहा है कि अगड़ी जाति से दो नए मंत्री बन सकते हैं, जिसमें एक राजपूत और एक भूमिहार समाज से हो सकता है। इसके अलावा, अति पिछड़ा वर्ग से दो लोगों को मंत्री पद मिल सकता है। तेली जाति से भी एक मंत्री बनने की संभावना है। वहीं, पिछड़ा समाज से भी एक व्यक्ति को मंत्री बनाया जा सकता है।
कितने मंत्री बन सकते हैं?
बिहार में फिलहाल 30 मंत्री हैं, जबकि कुल 36 मंत्रियों की नियुक्ति की जा सकती है। खबरों के मुताबिक, बीजेपी कोटे से 3-4 और जेडीयू कोटे से 2-3 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। चूंकि चुनाव नजदीक हैं, इसलिए सरकार मंत्रिमंडल विस्तार में पूरी रणनीति के साथ कदम बढ़ा रही है।
बिहार में इस साल चुनाव होने हैं और इससे पहले सरकार अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। कैबिनेट विस्तार में नए चेहरों को जगह देने के साथ-साथ जातीय संतुलन का भी ध्यान रखा जाएगा। साथ ही, जिन मंत्रियों के पास अधिक विभाग हैं, उनकी जिम्मेदारी कम की जाएगी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को मंत्री पद से हटाया जा सकता है। कुल मिलाकर, यह विस्तार चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरणों को संतुलित करने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।