हालांकि पंजाब सरकार ने अभी तक नगर निगम चुनावों का शेड्यूल जारी नहीं किया है, लेकिन सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने संगठनात्मक रूप से तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने चंडीगढ़ से लेकर फील्ड तक सक्रियता दिखाई है। वह विधायकों, हल्का इंचार्ज, चेयरमैन और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं।
विकास कार्यों पर जोर
आप की तैयारी के पहले चरण में विकास कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। पार्टी नेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि चुनाव से पहले सभी विकास कार्य तेजी से पूरे किए जाएं। अब दूसरे चरण में टिकट के लिए आवेदन मांगने और उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।
राज्य को पांच हिस्सों में बांटा गया
पार्टी ने चुनावी रणनीति के तहत पंजाब को पांच हिस्सों में बांटकर उनके इंचार्ज मंत्री नियुक्त किए हैं। इन मंत्रियों को चुनाव प्रचार और उम्मीदवारों के चयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है:
- माझा: लालजीत सिंह भुल्लर
- दोआबा: लाल चंद कटारूचक्क
- मालवा सेंट्रल: हरजोत सिंह बैंस
- मालवा वेस्ट: डॉ. बलजीत कौर
- मालवा पूर्वी: हरदीप सिंह मुंडियां
कांग्रेस की रणनीति
दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी नगर निगम चुनावों की तैयारियां तेज कर दी हैं। उम्मीदवारों के चयन के लिए कांग्रेस ने आवेदन मंगवाए हैं और उनके इंटरव्यू के लिए पांच नगर निगमों के लिए अलग-अलग स्क्रीनिंग कमेटियां बनाई हैं।
जंबो कमेटी का गठन
कांग्रेस ने 69 सदस्यों वाली जंबो कमेटी का गठन किया है, जो उम्मीदवारों के नाम तय करेगी। इस कमेटी में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजा वड़िंग, नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, सांसद और अन्य वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है।
पार्टी का फोकस क्षेत्र
कांग्रेस ने चुनावों में अपना फोकस शहरी विकास, रोजगार, और बुनियादी सुविधाओं पर केंद्रित किया है। पार्टी का मानना है कि मौजूदा सरकार शहरी क्षेत्रों में जनहित के काम करने में असफल रही है।
मुकाबला कांटे का होगा
नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है। दोनों पार्टियां शहरी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए आक्रामक प्रचार कर रही हैं।
चुनाव में अन्य दलों की भूमिका
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिरोमणि अकाली दल भी अपनी-अपनी चुनावी तैयारियों में जुटे हैं। भाजपा शहरी विकास के मुद्दों पर फोकस कर रही है, जबकि अकाली दल अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करने में लगा हुआ है।
पंजाब के नगर निगम चुनाव सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी परीक्षा होंगे। विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, इस मौके को सरकार की कमजोरियों को उजागर करने के रूप में देख रहे हैं। ऐसे में शहरी मतदाताओं का रुख चुनावों के नतीजों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।