कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी आज अपने भाई राहुल गांधी के साथ संसद के निचले सदन में सदस्य के रूप में शपथ लेंगी। उन्होंने हाल ही में वायनाड लोकसभा उपचुनाव में भारी बहुमत से जीत हासिल की है। यह सीट राहुल गांधी ने खाली की थी, जो 2024 के आम चुनावों में वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों से विजयी हुए थे।
प्रियंका गांधी का यह चुनावी पदार्पण ऐतिहासिक रहा। उन्होंने चार लाख से अधिक वोटों के भारी अंतर से वायनाड सीट जीती, जो उनके भाई राहुल गांधी की पिछली जीत के अंतर से भी अधिक है। उनकी इस जीत को कांग्रेस के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
परिवार की संसद में मजबूत उपस्थिति
प्रियंका गांधी की जीत के साथ गांधी परिवार की संसद में उपस्थिति और मजबूत हुई है। उनकी मां सोनिया गांधी वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं, जबकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लोकसभा में बैठेंगे। यह पहला अवसर होगा जब गांधी परिवार के तीन सदस्य एक साथ संसद के दोनों सदनों में मौजूद होंगे।
राजनीतिक परिवारों की परंपरा
भारत में बड़े राजनीतिक परिवारों का संसद में सक्रिय होना कोई नई बात नहीं है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव दोनों लोकसभा सदस्य हैं। अखिलेश यादव कन्नौज से सांसद हैं, जबकि डिंपल यादव मैनपुरी से चुनकर आई हैं। उनके चचेरे भाई अक्षय यादव फिरोजाबाद और धर्मेंद्र यादव बदायूं से सांसद बने।
लालू प्रसाद यादव का परिवार भी इसी कड़ी का हिस्सा है। उनके बेटे तेजस्वी यादव बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं, जबकि बेटी मीसा भारती राज्यसभा सदस्य हैं।
प्रियंका गांधी की राजनीतिक शुरुआत
प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में यह पहली बड़ी सफलता है। वह लंबे समय से कांग्रेस की स्टार प्रचारक रही हैं, लेकिन औपचारिक रूप से चुनाव लड़ने का फैसला उन्होंने 2024 में किया। उनकी वायनाड में भारी जीत ने उन्हें न केवल पार्टी के भीतर बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी मजबूत स्थान दिलाया है।
राहुल गांधी का योगदान
राहुल गांधी ने वायनाड में अपनी छवि को मजबूत किया है। उनकी विकास योजनाओं और क्षेत्रीय मुद्दों पर फोकस ने प्रियंका गांधी की जीत में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह जीत कांग्रेस के लिए एक नई ऊर्जा लेकर आएगी।
संसद में नई भूमिका
संसद में शपथ लेने के बाद प्रियंका गांधी अपने नए राजनीतिक सफर की शुरुआत करेंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी उपस्थिति कांग्रेस के संसदीय प्रदर्शन को और प्रभावशाली बना सकती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इसे पार्टी के लिए सकारात्मक संकेत मानते हैं। अब देखना होगा कि प्रियंका गांधी अपनी नई भूमिका में किस तरह पार्टी और क्षेत्र के हितों को साधती हैं।