
पंजाब सरकार जल संरक्षण की दिशा में लगातार प्रभावी कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य में नहरी पानी को बढ़ावा देने और डीएसआर (डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस) विधि को अपनाने की दिशा में कई अहम फैसले लिए गए हैं। वर्ल्ड वाटर डे 2025 के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, पंजाब सरकार की यह पहल न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा दे रही है, बल्कि किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है।
गांव-गांव तक नहरी पानी की पहुंच
पंजाब में जल संकट कोई नई समस्या नहीं है। भू-जल स्तर लगातार गिर रहा था, जिससे किसानों को सिंचाई में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इसे देखते हुए मान सरकार ने नहरी पानी को ज्यादा से ज्यादा गांवों तक पहुंचाने की योजना शुरू की। इस पहल के तहत पंजाब के ज्यादातर इलाकों में नहरों का पानी पहुंच चुका है और किसान अब भू-जल की बजाय नहरी पानी से सिंचाई कर रहे हैं।
इससे न केवल भू-जल का स्तर बचा रहेगा, बल्कि किसानों को कम लागत में सिंचाई का विकल्प भी मिलेगा। यह कदम वर्ल्ड वाटर डे 2025 के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे जल संरक्षण को नई गति मिली है।
DSR विधि: कम पानी में धान की खेती
पंजाब सरकार ने जल बचाने के लिए डीएसआर (Direct Seeding of Rice) विधि को भी बढ़ावा दिया है। पारंपरिक तरीकों में धान की रोपाई के लिए अधिक पानी की जरूरत होती थी, जिससे भू-जल स्तर तेजी से गिरता जा रहा था। लेकिन DSR विधि के तहत बिना रोपाई के ही धान की बुआई संभव हो रही है, जिससे सिंचाई में लगने वाले पानी की मात्रा काफी कम हो गई है।
इस मुहिम के तहत, पंजाब सरकार किसानों को डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से नकद प्रोत्साहन राशि भी प्रदान कर रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इस आधुनिक तकनीक को अपनाएं। इससे किसान कम पानी में ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं और पर्यावरण को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
क्रॉप रोटेशन को भी बढ़ावा
इसके अलावा, मान सरकार फसल चक्र (क्रॉप रोटेशन) को अपनाने पर भी जोर दे रही है। इससे किसान ऐसी फसलों की खेती कर सकते हैं जो कम पानी में तैयार हो जाती हैं। इससे भू-जल का संरक्षण होगा और किसान आर्थिक रूप से भी अधिक सक्षम बनेंगे।
क्रॉप रोटेशन के फायदे:
✅ कम पानी में खेती संभव
✅ मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी
✅ किसानों को अतिरिक्त आमदनी के नए अवसर मिलेंगे
किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए सरकार लगातार प्रशिक्षण शिविर और जागरूकता अभियान चला रही है।
पंजाब में जल संरक्षण की दिशा में सकारात्मक बदलाव
सरकार के इन प्रयासों का प्रभाव अब साफ दिखाई दे रहा है। राज्य के दूर-दराज के गांवों तक नहरी पानी पहुंच चुका है और किसान पारंपरिक तरीकों को छोड़कर आधुनिक तकनीकों को अपनाने लगे हैं। इससे न केवल किसानों का खर्च कम हुआ है, बल्कि पानी की बचत भी हो रही है।
इसके अलावा, जल संरक्षण को लेकर आम लोगों में भी जागरूकता बढ़ी है। सरकार लगातार रैलियों, वर्कशॉप और डिजिटल माध्यमों से जनता को यह समझाने में जुटी है कि जल ही जीवन है, और इसे बचाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
भगवंत मान सरकार का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक उदाहरण बनेगा और पंजाब को जल संकट से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
नहरी पानी और DSR विधि से जल संरक्षण में क्या बदलाव आएंगे?
✅ भू-जल स्तर संतुलित रहेगा
✅ किसानों की उत्पादन लागत घटेगी
✅ सिंचाई के लिए नहरी पानी का उपयोग बढ़ेगा
✅ फसल उत्पादन अधिक होगा और पर्यावरण को लाभ मिलेगा
आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण जरूरी
पंजाब सरकार का उद्देश्य केवल वर्तमान की जरूरतें पूरी करना नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संसाधन को संरक्षित रखना भी है। यदि अभी से जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में जल संकट एक गंभीर समस्या बन सकता है। इसलिए मान सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी फायदेमंद साबित होंगे।
पंजाब सरकार का यह प्रयास वर्ल्ड वाटर डे 2025 के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। जल संरक्षण की इस मुहिम में आम जनता और किसानों की भागीदारी इसे और अधिक सफल बनाएगी।
“जल है तो कल है – इसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।”