महाराष्ट्र के पुणे में एक दर्दनाक सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि छह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा रविवार रात करीब 12:30 बजे वाघोली के केसनंद फाटा इलाके में हुआ, जहां फुटपाथ पर सो रहे मजदूरों को एक तेज रफ्तार डंपर ने कुचल दिया। मरने वालों में दो मासूम बच्चे शामिल हैं। हादसे के बाद डंपर चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि चालक शराब के नशे में था।
घटना का विवरण
रविवार रात अमरावती से आए 12 मजदूर काम की तलाश में पुणे के वाघोली इलाके में पहुंचे थे। उनमें से नौ लोग फुटपाथ पर सो रहे थे, जबकि तीन अन्य पास की झोपड़ी में थे। अचानक एक तेज रफ्तार डंपर अनियंत्रित होकर फुटपाथ पर चढ़ गया और सो रहे लोगों को कुचलते हुए निकल गया।
हादसे में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों में दो बच्चे—वैभव रितेश पवार (2 वर्ष) और रीनेश नितेश पवार (3 वर्ष)—शामिल हैं। घायलों में छह लोगों को गंभीर चोटें आईं और उन्हें तुरंत ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है।
चालक नशे में धुत, पुलिस ने किया गिरफ्तार
हादसे के बाद घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई। आसपास के लोग मदद के लिए दौड़े और तुरंत पुलिस को सूचित किया। आरोपी डंपर चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार, चालक शराब के नशे में था और वाहन पर से उसका नियंत्रण पूरी तरह से खत्म हो गया था।
पुणे सिटी पुलिस के डीसीपी (जोन 4) हिम्मत जाधव ने बताया कि चालक के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट (MVA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
हिट एंड रन केस की परिभाषा और जिम्मेदारी
हालांकि यह हादसा हिट एंड रन केस नहीं था, लेकिन ऐसे मामलों में जनता और कानून की जिम्मेदारियां स्पष्ट होती हैं।
हिट एंड रन तब होता है, जब कोई वाहन चालक दुर्घटना के बाद मौके से फरार हो जाता है। ऐसे मामलों में आरोपी अक्सर बिना जिम्मेदारी लिए घटना स्थल छोड़ देता है।
अब सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से ऐसे मामलों को सुलझाने में पुलिस को काफी मदद मिलती है। साथ ही, जनता की भी यह जिम्मेदारी है कि दुर्घटना के समय पीड़ितों की मदद करें और उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाएं।
सरकार और जनता की भूमिका
इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन और सार्वजनिक जागरूकता बेहद जरूरी है। शराब पीकर गाड़ी चलाना एक बड़ा अपराध है और इसके लिए सख्त दंड का प्रावधान है। साथ ही, दुर्घटना के बाद फर्स्ट रेस्पॉन्डर के रूप में जनता का पीड़ितों की मदद करना उनके जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
पुणे का यह हादसा एक बार फिर सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों के महत्व को रेखांकित करता है। पुलिस और प्रशासन को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। जनता से भी अपेक्षा है कि वे सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें और जरूरतमंदों की मदद करने में पीछे न हटें।