दीवाली के त्योहार के बाद प्रदूषण का स्तर एक बार फिर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। सुबह और शाम के समय वातावरण में धुएं की घनी परत यानी ‘स्मॉग’ फैली हुई है, जिससे श्वास संबंधी बीमारियों के मरीजों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी और निजी अस्पतालों में आंखों में जलन, सांस और फेफड़ों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में भी खतरनाक वृद्धि देखी जा रही है।
खतरनाक स्तर पर पहुंचा वायु गुणवत्ता सूचकांक
रिपोर्ट्स के अनुसार, सामान्य AQI स्तर 0 से 50 के बीच होना चाहिए, लेकिन संगरूर और बरनाला जैसे क्षेत्रों में यह स्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। आने वाले दिनों में हालात और खराब होने की आशंका है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है क्योंकि बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
पराली जलाने और पटाखों का धुआं बना वजह
प्रदूषण का स्तर बढ़ने के प्रमुख कारणों में पराली जलाना शामिल है, जो पहले ही सांस के मरीजों की संख्या में वृद्धि कर रहा था। दीवाली पर पटाखों से निकलने वाले धुएं ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। स्मॉग के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया है। बच्चों और बुजुर्गों को फिर से मास्क लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। स्कूलों में बच्चे खांसी, जुकाम और बुखार जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं और बुजुर्गों को भी सांस लेने में कठिनाई हो रही है।
स्मॉग में छिपे खतरनाक तत्व
मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. मनप्रीत सिद्धू ने बताया कि ठंडी हवा जब भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में पहुंचती है, तो यह हवा में मौजूद नमी, धूल और विषाक्त तत्वों जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड और ऑर्गेनिक कंपाउंड्स के साथ मिलकर एक घना कोहरा (स्मॉग) बना देती है। यह न केवल दृश्यता को प्रभावित करता है बल्कि वातावरण की गुणवत्ता को भी खराब करता है। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि लोग घर से बाहर निकलने पर मास्क का उपयोग करें।
आंखों पर भी हो रहा है असर
नेत्र विशेषज्ञ डॉ. रूपेश सिंगला ने बताया कि स्मॉग के कारण आंखों की नमी और चिकनाहट प्रभावित होती है। प्रदूषक तत्वों के कारण आंखों में जलन, खुजली और सूजन जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं। डॉ. सिंगला ने सलाह दी है कि दिन में कई बार आंखों को धोएं और बाहर निकलते समय चश्मा पहनें। बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी आई ड्रॉप का उपयोग न करें।
स्मॉग से बचाव के लिए एहतियात
प्रदूषण से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है:
- शारीरिक गतिविधियों को सीमित करें: डॉ. हरीश मित्तल ने सलाह दी है कि दौड़ना, साइकिल चलाना और बाहर सैर करना सीमित करें, क्योंकि यह फेफड़ों पर असर डाल सकता है।
- खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें: घर की खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें ताकि बाहरी धूल और प्रदूषण अंदर न आ सके।
- दवाइयों का नियमित सेवन करें: सांस के मरीज अपनी दवाइयां नियमित रूप से लें और किसी भी समस्या पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- पौष्टिक आहार का सेवन करें: शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हरी सब्जियां और पौष्टिक आहार का सेवन करें।
- धूम्रपान से बचें: फेफड़ों पर अधिक प्रभाव न पड़े, इसके लिए धूम्रपान से पूरी तरह बचें।
प्रदूषण की इस खतरनाक स्थिति में लोगों को सचेत रहने और स्वास्थ्य संबंधी इन सलाहों का पालन करने की जरूरत है ताकि खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखा जा सके।