पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक बार फिर केंद्र सरकार को किसानों के मुद्दों पर घेरा है। भगवंत मान ने केंद्र से अपील करते हुए कहा कि वह अपनी जिद छोड़कर किसान संगठनों से बातचीत का रास्ता खोले। उन्होंने केंद्र सरकार के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा, “कबूतर की आंख बंद करने से बिल्ली नहीं भागती। सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए।”
भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर मोदी जी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोक सकते हैं, तो क्या वे 200 किलोमीटर दूर बैठे किसानों से बातचीत नहीं कर सकते?” उन्होंने कहा कि सरकार किस समय का इंतजार कर रही है और किसानों की मांगों पर अब तक चुप्पी क्यों साध रखी है।
मुख्यमंत्री ने किसानों के लंबे संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों ने देश को खाद्य सुरक्षा दी है और उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने केंद्र सरकार को सलाह दी कि वह किसानों के मुद्दों को सुलझाने के लिए उनके साथ संवाद करें और समाधान का रास्ता निकाले।
भगवंत मान ने यह भी कहा कि किसानों की मांगें जायज हैं और केंद्र को उनकी समस्याओं का हल निकालने के लिए गंभीरता दिखानी चाहिए। उन्होंने केंद्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह समय समस्याओं को नजरअंदाज करने का नहीं, बल्कि उनके समाधान पर काम करने का है।
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि पंजाब सरकार किसानों के साथ है और हर मंच पर उनकी आवाज को बुलंद करती रहेगी। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह किसानों के हित में जल्द से जल्द कदम उठाए, ताकि उनका संघर्ष खत्म हो सके और उन्हें राहत मिल सके।
किसानों के समर्थन में भगवंत मान का यह बयान राज्य में बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है।
पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पिछले 10 महीनों से किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार की ओर से बातचीत का कोई न्योता नहीं आया है। किसानों की मांगों को लेकर यह प्रदर्शन लगातार तेज़ हो रहा है, और आंदोलन में शामिल किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार उनकी समस्याओं को नज़रअंदाज़ कर रही है।
इस दौरान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले एक महीने से मरण व्रत पर बैठे हैं। उनकी बिगड़ती सेहत ने आंदोलन के बीच चिंता बढ़ा दी है। डॉक्टरों ने डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चेतावनी दी है। डॉक्टरों का कहना है कि डल्लेवाल की हालत बेहद नाज़ुक है और इस समय किसी भी तरह की चूक घातक हो सकती है।
डॉक्टरों के अनुसार, डल्लेवाल का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है। शरीर में पानी और पोषण की कमी के चलते उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
किसानों के प्रदर्शन और डल्लेवाल के मरण व्रत को लेकर राज्य में तनाव का माहौल है। किसानों का कहना है कि वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे और केंद्र सरकार को जल्द से जल्द उनकी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
किसानों की प्रमुख मांगें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, कृषि कानूनों को पूरी तरह खत्म करना, और कृषि क्षेत्र में सुधारों को लेकर उनकी राय को शामिल करना है।
डल्लेवाल की बिगड़ती हालत और केंद्र की ओर से संवाद की कमी पर कई किसान संगठनों ने नाराज़गी जताई है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह आंदोलनकारियों से बातचीत करे और उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे।
किसानों का यह आंदोलन राज्य और देश दोनों में चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है। आंदोलनकारियों ने साफ कहा है कि वे अपनी मांगों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।