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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को घल्लूघारा नरसंहार में शहीद हुए हजारों सिखों को याद किया और उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि लगभग 250 साल पहले पंजाब के मलेरकोटला के पास कुप-रोहिरा गांव में एक भयंकर युद्ध हुआ था। यह लड़ाई अफगानी आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली की सेना और बहादुर सिख योद्धाओं के बीच हुई थी, जिसमें हजारों सिखों ने अपनी जान गवां दी थी।
क्या था घल्लूघारा नरसंहार?
घल्लूघारा नरसंहार सिख इतिहास का एक दर्दनाक और काला अध्याय है। इतिहासकारों के अनुसार, जब अहमद शाह अब्दाली ने भारत पर हमला किया, तो उसने सिखों को खत्म करने का आदेश दिया। दो दिनों के अंदर ही 25,000 से 30,000 सिखों और उनके परिवारों को बेरहमी से मार दिया गया।
इस भीषण नरसंहार की शुरुआत कुप-रोहिरा गांव में हुई थी और बाद में यह गेहल गांव तक पहुंच गई थी। सिखों ने पूरी बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ी, लेकिन उनकी संख्या कम होने के कारण वे ज्यादा समय तक टिक नहीं सके। इसके बावजूद, उन्होंने अपने धर्म और सम्मान की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी।
क्यों याद किया जाता है यह दिन?
इस नरसंहार को इतिहास का काला दिन माना जाता है, क्योंकि इसमें सिखों को सिर्फ उनके धर्म और पहचान के कारण मारा गया था। हर साल घल्लूघारा के शहीदों को याद किया जाता है ताकि उनकी कुर्बानी को भुलाया न जाए।
भगवंत मान ने कहा कि यह बलिदान हमें साहस, एकता और अपने अधिकारों के लिए लड़ने की सीख देता है। पंजाब के लोग आज भी उन वीर शहीदों की याद में इस दिन को श्रद्धा के साथ मनाते हैं।