पंजाब के किसान जहां खनौरी और शंभू बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए कृषि मंडीकरण नीति का खरड़ा जारी करके किसानों के लिए नई समस्याएं खड़ी कर दी हैं। इस नीति को लेकर पंजाब सरकार ने 19 दिसंबर (बृहस्पतिवार) को एक आपात बैठक बुलाई है। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि इस बैठक में किसानों से विचार-विमर्श के बाद अगली रणनीति बनाई जाएगी।
खुड्डियां ने कहा कि कृषि मंडीकरण नीति के खरड़े का गहराई से अध्ययन और संबंधित अधिकारियों से परामर्श की जरूरत है, क्योंकि अगर इस नीति पर बिना विचार किए कदम उठाए गए तो इसका पंजाब और इसके किसानों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग ने पहले ही इस नीति के खरड़े पर टिप्पणियां भेजने के लिए कम से कम तीन सप्ताह का समय देने की अपील की है, जो केंद्र सरकार के कृषि मंडीकरण सलाहकार और ड्राफ्ट समिति के संयोजक डॉ. एस.के. सिंह को पहले ही भेजा जा चुका है।
कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे कृषि मंडीकरण नीति का गहराई से अध्ययन करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बिंदु नजरअंदाज न हो, जो भविष्य में किसानों के लिए महंगा साबित हो सकता है। उनका कहना था कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस नीति को लागू किया जाना चाहिए, और इससे कोई भी नकारात्मक प्रभाव न पड़े, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा।
यह बैठक पंजाब के किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर केंद्र की नई नीति लागू होती है तो इससे राज्य के पारंपरिक कृषि बाजारों और मंडियों पर असर पड़ सकता है। किसान नेताओं का मानना है कि इस नीति से उन्हें आर्थिक नुकसान हो सकता है, और वे इस पर विरोध कर रहे हैं।
आने वाले दिनों में इस नीति को लेकर और भी बैठकों और चर्चाओं की संभावना है, जो किसान आंदोलन के संदर्भ में अहम साबित हो सकती हैं।