
पंजाब सरकार ने आम जनता की ज़िंदगी को आसान बनाने और भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। प्रशासनिक सुधारों को लेकर पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में ऐलान किया कि अब राज्य के लोग ज़मीन-जायदाद से जुड़ी कई जरूरी सेवाएं एक क्लिक पर अपने मोबाइल या कंप्यूटर के जरिए घर बैठे ही प्राप्त कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि अब फरद, जमाबंदी, इंतकाल, फरद बदल जैसी सेवाएं ऑनलाइन कर दी गई हैं। इसके लिए लोग जमाबंदी पोर्टल पर जाकर या 1076 नंबर डायल करके सेवा ले सकते हैं। इससे लोगों को न तो दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ेंगे और न ही रिश्वत देनी पड़ेगी।
अमन अरोड़ा ने बताया कि हर साल करीब 40 लाख लोग फरद की कॉपी लेने के लिए फरद केंद्रों पर जाते हैं, जिनसे सरकार को 45 करोड़ रुपये की आय होती है। लेकिन अब यह सेवा मुफ्त या बेहद कम लागत में घर बैठे मिलेगी और इससे राज्य के लोगों के करीब 22 करोड़ रुपये की बचत होगी।
सिर्फ यही नहीं, हर साल 8 लाख के करीब इंतकाल दर्ज किए जाते हैं, जिनमें से 6 लाख रजिस्ट्री वाले और 2 लाख विरासत से जुड़े होते हैं। पहले इंतकाल के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब पूरा प्रोसेस डिजिटल होगा और 30 दिन में निपटाया जाएगा।
लोगों को अब न पटवारी के पास जाना पड़ेगा, न ही किसी दलाल की ज़रूरत होगी। पूरा केस डिजिटल माध्यम से पटवारी से लेकर तहसीलदार तक जाएगा और व्यक्ति को वॉट्सएप पर हर स्टेप की जानकारी मिलती रहेगी।
इसके अलावा रपट एंट्री (Mutation entry) को भी अब पेपरलेस कर दिया गया है। अब किसी कागज़ी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है।
फरद से जुड़ी सेवा को पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया गया है और ज़मीन रेकॉर्ड में मौजूद ग़लतियों को भी अब ऑनलाइन ठीक किया जा सकेगा।
एक और महत्वपूर्ण सुविधा यह है कि अब कोई भी नागरिक सिर्फ 500 रुपये वार्षिक शुल्क देकर अपनी खेवट (जमीन रिकॉर्ड) की सब्सक्रिप्शन ले सकता है। इससे जब भी किसी उसकी ज़मीन में कोई छेड़छाड़ होगी, उसे तुरंत वॉट्सएप या ईमेल के जरिए अलर्ट मिल जाएगा, चाहे वह देश में हो या विदेश में।
इस मौके पर पंजाब के राजस्व मंत्री हरदीप सिंह मुंडिया ने भी इस पहल को आम आदमी पार्टी की जनहितैषी और भ्रष्टाचार विरोधी सोच का हिस्सा बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह सुधारों की शुरुआत है और भविष्य में और भी जनहित के फैसले लिए जाएंगे।