पंजाब सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने आरडीएफ (पेंडी विकास फंड) और एमडीएफ (मार्केट विकास फंड) से जुड़े लंबित भुगतान की समस्या को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक, सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी और पंजाब के मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा शामिल थे। मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने 7,000 करोड़ रुपये के लंबित फंड को तत्काल जारी करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
हरपाल सिंह चीमा ने बताई बैठक की जानकारी
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने प्रेस से बातचीत के दौरान बैठक की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि आरडीएफ और एमडीएफ के भुगतान में हो रही देरी के कारण पंजाब को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उस पर विस्तृत चर्चा हुई। चीमा ने बताया कि इन फंड्स की कमी से राज्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
चीमा ने कहा कि फंड जारी करने में और देरी से राज्य के बुनियादी ढांचे को बनाए रखने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। साथ ही, इससे फसल खरीद प्रक्रिया में भी बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि न केवल पंजाब सरकार बल्कि केंद्र सरकार भी नहीं चाहेगी कि फसल खरीद प्रक्रिया में कोई रुकावट आए।
कृषि ढांचे पर पड़ रहा असर
हरपाल चीमा ने कहा कि आरडीएफ और एमडीएफ का भुगतान लंबित रहने से पंजाब के कृषि बुनियादी ढांचे के सतत विकास और रखरखाव में समस्या आ रही है। राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद फंड्स की कमी से कई परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।
जल्द समाधान की उम्मीद
वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि जल्द ही केंद्र सरकार इस मामले में सकारात्मक फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि आरडीएफ और एमडीएफ के लंबित फंड को जारी करने से पंजाब सरकार को फसल खरीद प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने और बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
7,000 करोड़ रुपये के फंड पर जोर
प्रतिनिधिमंडल ने 7,000 करोड़ रुपये के भुगतान की तात्कालिकता पर जोर देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री को बताया कि इन फंड्स के जारी होने से पंजाब में विकास परियोजनाओं को गति मिलेगी। साथ ही, कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले इस राज्य को अपनी वित्तीय चुनौतियों से उबरने में भी मदद मिलेगी।
यह बैठक पंजाब सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इससे राज्य को अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार परियोजनाओं को सुचारू रूप से लागू करने का अवसर मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर जल्द ही निर्णय लेकर फंड जारी करेगी।