
पंजाब सरकार ने राज्य में पराली जलाने की समस्या को पूरी तरह खत्म करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने फसलों के अवशेषों के प्रबंधन (CRM मशीनों) के लिए किसानों को सब्सिडी देने और अन्य रणनीतियों को लागू करने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना बनाई है। इस योजना के तहत किसानों को आधुनिक मशीनें सस्ती दरों पर दी जाएंगी, ताकि वे पराली को जलाने की बजाय उसका सही प्रबंधन कर सकें।
ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तारीख 12 मई
पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड़ियां ने बताया कि राज्य सरकार ने 22 अप्रैल से 12 मई 2025 तक ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। किसान agrimachinerypb.com पोर्टल के माध्यम से सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
सरकार का मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा किसान इस योजना का लाभ उठाएं और पराली जलाने की बजाय मशीनों से उसका प्रबंधन करें।
सब्सिडी की दरें
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व्यक्तिगत किसानों को 50% तक सब्सिडी दी जाएगी।
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किसान समूहों, सहकारी सभाओं और ग्राम पंचायतों को 80% तक सब्सिडी मिलेगी।
इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य है कि पराली प्रबंधन से जुड़ी आधुनिक मशीनें हर किसान तक पहुंचें और उन्हें उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाए।
कौन-कौन सी मशीनों पर मिलेगी सब्सिडी?
मंत्री ने बताया कि सरकार जिन मशीनों पर सब्सिडी दे रही है, उनमें शामिल हैं:
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सुपर एसएमएस
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हैपी सीडर
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सुपर सीडर
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स्मार्ट सीडर
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ज़ीरो टिल ड्रिल
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बेलर
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रेक
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स्ट्रॉ मैनेजमेंट मशीन (श्रे़डर/मल्चर)
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हाइड्रॉलिक रिवर्सिबल हल
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क्रॉप रीपर आदि।
इन मशीनों की मदद से किसान पराली को खेत में ही मिट्टी में मिला सकते हैं या उसका उपयोग दूसरे तरीके से कर सकते हैं।
पराली जलाने के मामलों में 70% की कमी
कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. बसंत गर्ग ने बताया कि पंजाब ने पराली प्रबंधन में काफी प्रगति की है। उन्होंने बताया कि पिछले साल सरकार ने किसानों को 17,600 CRM मशीनें और 1,331 कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) उपलब्ध करवाए थे। इसका सीधा असर पराली जलाने के मामलों पर पड़ा।
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2023 में पराली जलाने के 36,663 मामले सामने आए थे।
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2024 में यह घटकर सिर्फ 10,909 रह गए, यानी करीब 70% की कमी दर्ज की गई।
पंजाब सरकार की यह योजना न सिर्फ पर्यावरण को साफ रखने की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि किसानों के लिए भी फायदेमंद है। मशीनों पर भारी सब्सिडी मिलने से किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और खेतों की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहेगी। अब देखना यह है कि कितने किसान इस योजना का लाभ उठाते हैं और पंजाब को पराली मुक्त राज्य बनाने में सहयोग करते हैं।