
पंजाब की भगवंत मान सरकार लगातार मजदूरों के हित में काम कर रही है। सरकार का उद्देश्य है कि मजदूरों का जीवन स्तर बेहतर बने और उन्हें हर संभव सहायता मिले। इसी दिशा में पंजाब सरकार और बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड ने कई बड़ी योजनाएं शुरू की हैं।
पिछले वित्तीय वर्ष में पंजाब में 41,000 से अधिक रजिस्टर्ड मजदूरों को लगभग 90 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। इस सहायता में सबसे ज्यादा राशि, यानी 45 करोड़ रुपये मजदूरों के बच्चों को शिक्षा वज़ीफ़ा के रूप में दी गई। इसके अलावा एक्स-ग्रेशिया सहायता के रूप में 28 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य बीमा और सर्जरी के लिए 11 करोड़ रुपये और ‘बालड़ी तोहफा योजना’ के तहत 85 लाख रुपये से अधिक वितरित किए गए।
अब निजी अस्पतालों में भी मिलेगी मुफ्त इलाज सुविधा
सरकार ने मजदूरों को निजी अस्पतालों में भी मुफ्त ऑपरेशन और सर्जरी की सुविधा दी है। इसके साथ ही लेबर वेलफेयर बोर्ड द्वारा भी 6,737 लाभार्थियों को 17.15 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
लंबित आवेदन तेजी से निपटाए
लेबर मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने बताया कि मजदूरों की पेंडिंग पड़ी करीब 80,000 अर्ज़ियों का समाधान जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच कर दिया गया है। पहले यह संख्या 1 लाख 10 हजार थी, जो अब घटकर 30,000 रह गई है। इसके अलावा मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 1 लाख 30 हजार मजदूरों और उनके परिवारों को कवर किया गया है।
लेबर सेस में रिकॉर्ड वसूली
वित्तीय वर्ष 2024-25 में 287 करोड़ रुपये लेबर सेस के रूप में इकट्ठा किए गए, जो कि पिछले चार सालों में सबसे ज़्यादा है। 2021-22 में यह राशि 203.94 करोड़, 2022-23 में 208.92 करोड़ और 2023-24 में 180 करोड़ थी।
योजनाओं का किया गया सरलीकरण
सरकार ने मजदूरों के लिए योजनाओं को सरल और सुगम बनाया है। उदाहरण के तौर पर, ‘शगुन योजना’ के तहत अब शादी के लिए रजिस्टर्ड मैरिज सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं, केवल धार्मिक स्थल का प्रमाण और दोनों परिवारों की स्व-घोषणा ही पर्याप्त है। इस योजना में 51,000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है।
इसी तरह, महिला मजदूरों को 21,000 रुपये और पुरुष मजदूरों को 5,000 रुपये जच्चा-बच्चा लाभ के रूप में दिए जाते हैं। पहले इसके लिए बच्चे का आधार कार्ड जरूरी था, अब सिर्फ जन्म प्रमाण पत्र ही काफी है।
लेबर वेलफेयर बोर्ड द्वारा चलाई जा रही मातृत्व लाभ योजना को भी आसान बनाया गया है। पहले आवेदन करने की समयसीमा जटिल थी, अब बच्चे के जन्म के छह महीने बाद तक आवेदन किया जा सकता है।
सरकार ने मनरेगा में 90 दिन से अधिक काम करने वाले मजदूरों को रजिस्ट्रेशन के लिए प्रेरित किया है, ताकि वे भी इन योजनाओं का लाभ उठा सकें। साथ ही, फॉर्म नंबर 27 को भी सरल बना दिया गया है, जिसे अब कोई भी मजदूर हिंदी या पंजाबी में भर सकता है।
यह सभी कदम पंजाब सरकार के उस वादे की ओर इशारा करते हैं जिसमें मजदूरों के समग्र कल्याण और सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।