पंजाब सरकार ने सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार को रोकने और लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने तहसील दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देशों के बाद, अतिरिक्त मुख्य सचिव और वित्त आयुक्त (माल) ने पंजाब के सभी डिप्टी कमिश्नरों को एक पत्र जारी किया है। इस पत्र में कहा गया है कि सरकार के आदेश के तहत राज्य के सभी उप-पंजीयक और सहायक उप-पंजीयक दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
इन कैमरों को तहसील के दफ्तरों के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर लगाए जाएंगे। दफ्तर के अंदर दो सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जहां वसीके की तस्दीक की जाती है, और दो कैमरे दफ्तर के बाहर लगाए जाएंगे, जहां लोग इंतजार करते हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उप-पंजीयक और सहायक उप-पंजीयक दफ्तरों में पारदर्शिता बनी रहे और लोग बिना किसी परेशानी के अपने वसीके दर्ज करवा सकें।
सीसीटीवी कैमरे लगाने का दूसरा मुख्य उद्देश्य वसीके की तस्दीक के काम में पारदर्शिता लाना है। हालांकि, पिछले हफ्ते जांच के दौरान पाया गया कि जिन 180 उप-पंजीयक और सहायक उप-पंजीयक दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, उनमें से केवल तीन कैमरे ही काम कर रहे थे। यह स्थिति सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई, क्योंकि इससे भ्रष्टाचार और जनता की समस्याओं का समाधान सही तरीके से नहीं हो पा रहा था।
इस समस्या का समाधान करने के लिए पंजाब सरकार ने तात्कालिक रूप से कदम उठाए हैं। राज्य सरकार ने आदेश दिया है कि 31 जनवरी 2025 तक सभी उप-पंजीयक और सहायक उप-पंजीयक दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह से चालू हो जाने चाहिए। इन कैमरों को आई.पी. एड्रेस पर आधारित किया गया है, ताकि लोग अपने कंप्यूटर या मोबाइल से दफ्तरों के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देख सकें। इस कदम से लोगों को यह जानने का मौका मिलेगा कि किसी भी दफ्तर में कितनी भीड़ है और काम किस तरीके से हो रहा है।
इस फैसले का उद्देश्य सिर्फ भ्रष्टाचार को रोकना नहीं, बल्कि सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और सुचारु संचालन सुनिश्चित करना है। पंजाब सरकार इस कदम के जरिए यह दिखाना चाहती है कि वह अपने लोगों के भले के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और उनके कामों में पारदर्शिता बनाए रखेगी।