
मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में हुई पंजाब कैबिनेट की अहम बैठक में कई बड़े और राहत देने वाले फैसले लिए गए। बैठक के बाद पंजाब सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि अब फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की वैधता को एक साल से बढ़ाकर तीन से पांच साल तक कर दिया गया है। इससे राज्य के व्यापारिक संस्थानों, उद्योगों और इमारतों को बार-बार यह प्रमाणपत्र बनवाने की परेशानी से छुटकारा मिलेगा।
पहले हर साल फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का नवीनीकरण कराना जरूरी था, लेकिन अब यह एक बार बनवाने पर तीन से पांच साल तक मान्य रहेगा। इससे व्यापारियों और उद्योगपतियों को समय और धन दोनों की बचत होगी। सरकार का मानना है कि इससे ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा मिलेगा और नौकरशाही में देरी की शिकायतें भी कम होंगी।
कैबिनेट बैठक में श्रमिकों से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया गया। पंजाब कर्ता भलाई एक्ट, 1965 में संशोधन करते हुए कर्मचारियों के योगदान को 5 रुपए से बढ़ाकर 10 रुपए किया गया है। वहीं, नियोक्ता यानी मालिक का योगदान 20 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए कर दिया गया है। इससे राज्य में श्रमिकों की भलाई के लिए मिलने वाली सहायता राशि में बढ़ोतरी होगी और उन्हें ज़्यादा लाभ मिल सकेगा।
इसके अलावा पी.आर.टी.पी.डी. एक्ट में भी बदलाव किया गया है। अब तक मुख्यमंत्री पंजाब के सभी गमाडा (GMADA), शहरी विकास प्राधिकरणों आदि के चेयरमैन होते थे, लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए यह जिम्मेदारी मुख्य सचिव को सौंप दी गई है। इससे शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और दक्षता आने की उम्मीद जताई जा रही है।
सरकार ने इन फैसलों को पंजाब के विकास की दिशा में बड़ा कदम बताया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि उनकी सरकार लगातार लोगों को राहत देने और शासन को आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इन नए बदलावों से न केवल व्यापारियों को राहत मिलेगी बल्कि आम जनता, श्रमिकों और विकास से जुड़े विभागों को भी बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी। सरकार की कोशिश है कि हर फैसले का सीधा फायदा जनता तक पहुंचे और राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके।