
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भूमिगत जल स्तर को बचाने और आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से बचाने के उद्देश्य से धान की खेती को चरणबद्ध तरीके से शुरू करने का ऐलान किया है। उन्होंने लुधियाना में आयोजित ‘सरकार-किसान मिलनी’ कार्यक्रम के दौरान बताया कि राज्य को तीन ज़ोन में बांटा गया है और अलग-अलग जिलों में धान की बुआई 1 जून, 5 जून और 9 जून से शुरू होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब देश का अनाज भंडार है और यह कुल राष्ट्रीय भंडारण में 45% योगदान देता है। लेकिन धान की खेती के कारण यहां का भूमिगत जल खतरनाक गति से नीचे जा रहा है। उन्होंने बताया कि सिर्फ 70 दिनों में पंजाब धरती के नीचे से इतनी मात्रा में पानी निकालता है जितना 9 गोविंद सागर झीलों में होता है।
धान की खेती पर क्यों चिंता?
मुख्यमंत्री ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि 1 किलो धान उगाने के लिए करीब 4000 लीटर पानी की जरूरत होती है। ऐसे में पानी की इस अत्यधिक खपत से भविष्य में बड़ा जल संकट खड़ा हो सकता है। यही वजह है कि सरकार अब इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
पिछले कुछ वर्षों में धान की खेती का रकबा 20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इससे खेतों में सिंचाई की मांग भी काफी बढ़ गई है। हालांकि, सरकार के प्रयासों से अब कुछ इलाकों में पानी का स्तर थोड़ा बढ़ा है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार कुछ जगहों पर पानी एक मीटर तक ऊपर आया है।
ज़ोनवार धान की बुआई का शेड्यूल
पंजाब सरकार ने तय किया है कि:
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1 जून से: फरीदकोट, बठिंडा, फाजिल्का, फिरोजपुर और श्री मुक्तसर साहिब में बुआई शुरू होगी।
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5 जून से: गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन, रूपनगर, मोहाली, फतेहगढ़ साहिब और होशियारपुर में।
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9 जून से: लुधियाना, मोगा, जालंधर, मानसा, मालेरकोटला, संगरूर, पटियाला, बरनाला, नवांशहर और कपूरथला में।
इस योजना से पूरे राज्य में बिजली सप्लाई पर दबाव कम होगा और किसानों को फसल की बिक्री के समय भी नमी से जुड़ी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पानी की खपत वाली किस्मों पर बैन का विचार
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार धान की “पूसा-44” किस्म पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। यह किस्म 152 दिन में तैयार होती है और एक एकड़ में इसकी खेती के लिए लगभग 64 लाख लीटर पानी की ज़रूरत होती है। इसके अलावा, इस पर सरकार को बिजली की भारी लागत भी उठानी पड़ती है।
बिजली सप्लाई का भरोसा
सरकार ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि धान की बुआई के सीज़न में उन्हें कम से कम 8 घंटे नियमित बिजली मिलेगी। जहाँ नहरों से पानी मिल रहा है, वहाँ रात के समय बिजली दी जाएगी ताकि संसाधनों का सही उपयोग हो सके।
मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्होंने कभी भी जल संकट को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा कि “पांच दरियाओं की धरती” कहे जाने वाले पंजाब में, टेल एरिया (नहरों के अंतिम हिस्सों) में किसानों को कभी सही से पानी नहीं मिला।