
पंजाब सरकार ने एक और अहम फैसला लिया है, जो राज्य के रियल एस्टेट सेक्टर और औद्योगिक परियोजनाओं से जुड़े लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में हुई कैबिनेट मीटिंग में दो मुख्य निर्णय लिए गए हैं:
1. पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन एक्ट (PAPRA), 1995 के तहत आंशिक लाइसेंस सरेंडर और रद्द करने की मंजूरी
कैबिनेट ने 10 मार्च 2025 को नोटिफाई की गई एक नीति के आधार पर यह फैसला लिया है, जो पापरा एक्ट के तहत जारी किए गए लाइसेंसों और औद्योगिक पार्क परियोजनाओं की स्वीकृतियों के आंशिक समर्पण (सरेंडर) और रद्दीकरण की अनुमति देती है।
इसका मतलब ये है कि:
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जिन डेवलपर्स ने कॉलोनियों के लिए लाइसेंस लिए हैं लेकिन अब पूरी जमीन पर काम नहीं कर रहे, वे अपनी कुछ जमीन सरकार को लौटा सकते हैं।
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इसी तरह, औद्योगिक पार्क प्रोजेक्ट्स के मामले में भी अगर कोई कंपनी पूरे प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पा रही है, तो वह आंशिक हिस्से की अनुमति को सरेंडर या रद्द कर सकती है।
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यह निर्णय कुछ शर्तों के साथ लागू किया जाएगा और इससे कॉलोनी डेवलपर्स तथा इंडस्ट्रियल पार्क प्रमोटर्स को राहत मिलेगी।
यह कदम राज्य में अव्यवस्थित विकास को नियंत्रित करने, ज़मीन के बेहतर इस्तेमाल को बढ़ावा देने और गैर-क्रियाशील परियोजनाओं को बंद करने के लिए उठाया गया है।
2. प्लॉट खरीददारों को एकमुश्त भुगतान पर 15% की छूट
दूसरा बड़ा फैसला उन लोगों के लिए है जिन्होंने आवासीय, वाणिज्यिक या अन्य प्रकार की प्रॉपर्टी के प्लॉट लिए हुए हैं या लेने की योजना बना रहे हैं। सरकार ने घोषणा की है कि:
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जो भी अलॉटी (प्लॉट खरीददार) कुल रकम का 75% हिस्सा एकमुश्त अदा करेगा, उसे प्लॉट या साइट की कुल कीमत पर 15% की सीधी छूट दी जाएगी।
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यह स्कीम सभी रिहायशी, कमर्शियल और अन्य प्रॉपर्टी पर लागू होगी।
इसका फायदा क्या होगा?
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अलॉटी को कम कीमत में प्लॉट मिलेगा और ब्याज या लंबी किस्तों का झंझट नहीं रहेगा।
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सरकार को एक बार में अच्छी खासी राजस्व आय (रेवेन्यू) प्राप्त होगी।
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डिफॉल्टरों की संख्या में कमी आएगी, क्योंकि लोग समय से भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
पंजाब सरकार के ये दोनों फैसले साफ संकेत देते हैं कि राज्य अब पारदर्शिता, प्लानिंग और निवेशक हितैषी नीतियों की ओर बढ़ रहा है।
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लाइसेंस सरेंडर और रद्दीकरण की सुविधा से रियल एस्टेट डेवलपर्स और इंडस्ट्रियल प्रमोटरों को लचीलापन मिलेगा और वे बिना दबाव के अपनी अधूरी या असफल परियोजनाओं को बंद कर सकेंगे।
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वहीं, प्लॉट खरीददारों को छूट से उन्हें आर्थिक राहत मिलेगी और राज्य सरकार को भी फौरन राजस्व मिलेगा, जिससे विकास कार्यों को रफ्तार मिल सकती है।
ये निर्णय पंजाब को एक बेहतर, पारदर्शी और स्थायी विकास की ओर ले जाने वाले कदम हैं – जहां आम नागरिक, निवेशक और सरकार सभी को फायदा होगा।