
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और लोगों की जान बचाने के लिए एक अनोखी और सराहनीय पहल की है। राज्य सरकार ने देश की पहली ‘सड़क सुरक्षा फोर्स’ (Sadak Surakhya Force – SSF) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य मुख्य सड़कों और हाईवे पर तेज़ी से राहत पहुंचाना और यातायात को सुरक्षित बनाना है।
क्या है सड़क सुरक्षा फोर्स?
सड़क सुरक्षा फोर्स पंजाब के सभी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर 24 घंटे तैनात रहेगी। इसके अंतर्गत कुल 1,597 पुलिस कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देकर तैनात किया गया है। ये सभी कर्मी 144 अत्याधुनिक वाहनों के साथ राज्य के अलग-अलग हिस्सों में हर 30 किलोमीटर पर मौजूद रहेंगे। इन वाहनों में सभी जरूरी उपकरण, प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा, कैमरे, और संचार व्यवस्था मौजूद हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि यह फोर्स सड़क हादसों के दौरान 15 मिनट के भीतर मौके पर पहुंचकर घायलों को इलाज मुहैया कराने का काम करेगी। इससे इलाज में देरी नहीं होगी और लोगों की जान बचाई जा सकेगी।
एक साल में 1,500 से ज्यादा लोगों की जान बचाई
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, SSF की वजह से पंजाब में सड़क हादसों में भारी कमी आई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस फोर्स ने अपने पहले साल में ही 1,500 से ज्यादा लोगों की जान बचाई है। साथ ही, सड़क दुर्घटनाओं में 48% की गिरावट दर्ज की गई है।
तकनीकी और महिला भागीदारी
SSF के हर वाहन में 4 हाई-टेक कैमरे, GPS सिस्टम, प्राथमिक चिकित्सा किट और ट्रैफिक कंट्रोल के उपकरण मौजूद हैं। इसके अलावा, इस फोर्स में 90 महिला चालक भी शामिल की गई हैं, जो राज्य में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तिकरण को दर्शाता है।
क्यों जरूरी थी SSF?
पंजाब में हर साल सैकड़ों लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है। इनमें से अधिकतर मौतें इसलिए होती हैं क्योंकि समय पर एम्बुलेंस या मदद नहीं मिल पाती। ऐसे में SSF एक मोबाइल सहायता टीम की तरह काम करती है, जो जल्दी पहुंचकर घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाती है और घटनास्थल पर यातायात नियंत्रण में मदद करती है।
मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि सड़क पर चलने वाला हर व्यक्ति हमारे लिए कीमती है। SSF का मकसद यही है कि कोई भी व्यक्ति सड़क पर हादसे में अपनी जान न गंवाए। यह पहल पूरे देश में एक उदाहरण बनेगी।
सड़क सुरक्षा फोर्स पंजाब सरकार की एक बेहद सराहनीय और जनहितकारी पहल है। यह न केवल दुर्घटनाओं के बाद राहत पहुंचा रही है, बल्कि पूरे राज्य में ट्रैफिक अनुशासन को भी बढ़ावा दे रही है। आने वाले समय में यह मॉडल अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा सकता है।