पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नई ‘कृषि मंडी नीति’ के ड्राफ्ट को खारिज करते हुए एक कड़ा पत्र भेजा है। इस पत्र में केंद्र की नीति के विवादास्पद प्रावधानों और उसके संभावित परिणामों पर गंभीर आपत्तियां दर्ज की गई हैं। पंजाब सरकार का कहना है कि यह ड्राफ्ट 2021 में रद्द किए गए तीन कृषि कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों को नए तरीके से लागू करने का प्रयास है, जिसे राज्य किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेगा।
पंजाब सरकार ने अपने पत्र में भारतीय संविधान का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है कि अनुच्छेद 246 के तहत सातवीं अनुसूची के राज्य सूची की प्रविष्टि 28 के अनुसार, कृषि और उससे संबंधित विषय राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। राज्य सरकार ने केंद्र से अपील की है कि वह ऐसी नीति लाने से बचे और राज्यों की जरूरतों व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह अधिकार संबंधित राज्य सरकारों पर छोड़े।
पंजाब सरकार की मुख्य आपत्तियां
पंजाब सरकार ने ड्राफ्ट में मौजूद कई प्रावधानों को लेकर गहरी असहमति जताई है। मुख्य आपत्तियां निम्नलिखित हैं:
- निजी मंडियों की स्थापना:
प्रस्तावित नीति में निजी मंडियों को बढ़ावा दिया गया है, जो पंजाब की मौजूदा मंडी प्रणाली को कमजोर कर सकती हैं। निजी मंडियां किसानों को कम कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर कर सकती हैं और इससे पंजाब की मंडी प्रणाली अप्रासंगिक हो जाएगी। - कृषि में ठेका प्रणाली को प्रोत्साहित करना:
ड्राफ्ट में कृषि क्षेत्र में ठेका खेती (Contract Farming) को बढ़ावा देने का प्रावधान है, जो किसानों के लिए असुरक्षित है। ठेका खेती में किसानों को बाजार की अनिश्चितताओं और कॉरपोरेट्स के साथ अनुचित समझौतों का सामना करना पड़ सकता है। - साइलो को ओपन मार्केट यार्ड घोषित करना:
केंद्र द्वारा निजी साइलो को ओपन मार्केट यार्ड के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव है, जिससे पारंपरिक मंडी प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। - मंडी फीस में कटौती:
ड्राफ्ट में मंडी फीस पर सीमा लगाने का सुझाव दिया गया है। पंजाब सरकार का कहना है कि यह राज्य के ग्रामीण बुनियादी ढांचे और मंडी नेटवर्क को नुकसान पहुंचाएगा। - आढ़तियों के कमीशन में कटौती:
आढ़तियों को मिलने वाले कमीशन को कम करने की बात कही गई है, जिससे मंडी प्रणाली से जुड़े लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है। - निर्यातकों और थोक खरीदारों को सीधे खरीद को बढ़ावा देना:
इस प्रावधान के तहत थोक खरीदार और निर्यातक किसानों से सीधे खरीद कर सकते हैं, जिससे राज्य की मंडी प्रणाली कमजोर होगी।
एमएसपी पर चुप्पी
पंजाब सरकार ने इस ड्राफ्ट की एक और बड़ी खामी की ओर इशारा किया है। सरकार ने कहा कि प्रस्तावित खाका फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर पूरी तरह चुप है। पंजाब के किसानों के लिए MSP एक प्रमुख मुद्दा है, और इस पर स्पष्ट नीति की जरूरत है। बिना MSP के गारंटी के, किसानों को बाजार में निजी खरीदारों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
मंडी प्रणाली पर खतरा
पंजाब सरकार ने कहा कि राज्य में एक मजबूत और कुशल मंडी प्रणाली है, जिसने अब तक किसानों को समर्थन दिया है। नई नीति के प्रावधान, जैसे मंडी फीस में कटौती और निजी मंडियों को बढ़ावा, इस प्रणाली को अप्रासंगिक बना सकते हैं। इससे न केवल किसानों को नुकसान होगा, बल्कि राज्य के ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
पंजाब सरकार का रुख
पंजाब सरकार ने केंद्र से स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह नीति राज्य के हितों के खिलाफ है। केंद्र सरकार को राज्यों के अधिकारों का सम्मान करते हुए ऐसी नीतियां लानी चाहिए, जो राज्यों की आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप हों।
पंजाब सरकार ने यह भी दोहराया कि राज्य का कृषि मॉडल किसानों की समृद्धि और ग्रामीण विकास पर आधारित है। ऐसे में केंद्र द्वारा थोपी गई नीति राज्य के हितों के लिए नुकसानदायक होगी। पंजाब ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह इस ड्राफ्ट को तुरंत रद्द करे और राज्यों के साथ मिलकर इस पर विचार करे।
कृषि पंजाब की अर्थव्यवस्था और किसानों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। केंद्र की नई ‘कृषि मंडी नीति’ के मसौदे पर पंजाब सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि राज्य अपने अधिकारों और किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।