
पंजाब पुलिस ने यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) चंडीगढ़ के सहयोग से एक आधार जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। यह सत्र विशेष रूप से वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आयोजित किया गया था ताकि वे आधार की सुरक्षित उपयोगिता को शासन और पुलिसिंग के क्षेत्र में बेहतर ढंग से समझ सकें।
इस कार्यशाला की अगुवाई स्पेशल डीजीपी, ਕੈਡ (CAD) द्वारा की गई और इसमें एडीजीपी TSS समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों को आधार अधिनियम 2016 की प्रमुख धाराओं की जानकारी देना और डेटा की सुरक्षा व गोपनीयता से जुड़े मुद्दों पर जागरूक करना था।
क्या-क्या शामिल था कार्यशाला में?
इस सेशन में अधिकारियों को आधार अधिनियम 2016 की धारा 33 के बारे में विस्तार से बताया गया, जो डेटा गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़ी है। यह धारा बताती है कि किन परिस्थितियों में आधार डेटा तक पहुंच की अनुमति दी जा सकती है, और किस तरह से यह न्यायिक निगरानी में होता है।
mAadhaar और वेरिफिकेशन सिस्टम की जानकारी
अधिकारियों को mAadhaar ऐप के माध्यम से डिजिटल पहचान सत्यापन (Verification) की प्रक्रिया भी समझाई गई। उन्हें बताया गया कि किस तरह mAadhaar ऐप का सुरक्षित और प्रभावी इस्तेमाल किया जा सकता है, और इसकी सहायता से बिना पेपर पहचान के, सुरक्षित और तेज़ वेरिफिकेशन संभव है।
कानूनी सीमाएं और सुरक्षा उपाय
वर्कशॉप के दौरान इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि आधार डेटा तक पहुंचने की कानूनी सीमाएं क्या हैं और किस तरह अधिकारियों को इस डेटा का इस्तेमाल करते समय निजता और सुरक्षा के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। उन्हें बताया गया कि आधार डेटा का उपयोग कैसे सीमित और नियंत्रित तरीकों से किया जाना चाहिए ताकि किसी व्यक्ति की निजता का हनन न हो।
यह कार्यशाला पंजाब पुलिस की ओर से एक महत्वपूर्ण पहल थी, जो यह दर्शाती है कि कानून लागू करने वाली एजेंसियां अब तकनीक के सुरक्षित उपयोग और डेटा प्राइवेसी को गंभीरता से ले रही हैं। यह कदम भविष्य में ई-गवर्नेंस और साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में मजबूत बुनियाद तैयार करने में सहायक सिद्ध होगा।