
पंजाब के जल संसाधन और भूजल संरक्षण मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा हरियाणा को 8500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि हरियाणा पहले ही अपने सालाना हिस्से से 104% पानी इस्तेमाल कर चुका है, ऐसे में उसे और पानी देना पंजाब के हक में नहीं है।
पंजाब पहले ही दे रहा है 4000 क्यूसेक पानी
मंत्री गोयल ने कहा कि पंजाब में पानी की भारी किल्लत है, इसके बावजूद राज्य हरियाणा को रोजाना 4000 क्यूसेक पानी दे रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पंजाब अपने कानूनी हिस्से के पानी को बचाने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है।
उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि BBMB के रिकॉर्ड के अनुसार हरियाणा ने अब तक 3.110 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी की खपत कर ली है, जबकि उसकी सालाना हिस्सेदारी 2.987 MAF है। यानी हरियाणा पहले ही अपने हिस्से से अधिक पानी ले चुका है।
पंजाब के किसान झेल रहे हैं पानी की किल्लत
मंत्री गोयल ने चिंता जताई कि पंजाब में 115 ब्लॉक ऐसे हैं, जो अत्यधिक भूजल दोहन की श्रेणी में आते हैं। ये कुल ब्लॉकों का 75.16% हिस्सा हैं। इसके मुकाबले हरियाणा में यह संख्या सिर्फ 61.53% है। इसका मतलब साफ है कि पंजाब को पानी की ज्यादा जरूरत है, खासकर खेती के लिए।
हरियाणा की मांग पीने के पानी से ज्यादा, सिंचाई के लिए की गई: गोयल
बरिंदर गोयल ने हरियाणा द्वारा 8500 क्यूसेक पानी की मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह मात्रा सिर्फ पीने के पानी के लिए नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार प्रति व्यक्ति प्रति दिन 135 लीटर पानी की जरूरत होती है। ऐसे में हरियाणा की लगभग 3 करोड़ की आबादी के लिए करीब 1700 क्यूसेक पानी पर्याप्त है।
उन्होंने कहा कि 8500 क्यूसेक पानी तो 15 करोड़ आबादी के लिए काफी होगा। इससे साफ होता है कि यह मांग सिंचाई के उद्देश्य से की गई है, न कि पीने के लिए। ऐसे में पंजाब अपने किसानों की कीमत पर ये अतिरिक्त पानी नहीं दे सकता।
पंजाब ने बनाई थी पानी बचाने की योजना
मंत्री गोयल ने बताया कि पंजाब सरकार ने पहले से ही पानी के समझदारीपूर्ण इस्तेमाल की योजना बनाई थी। खासकर अप्रैल और मई में कपास की फसल के लिए जरूरी पानी को बचाने के लिए गेहूं सीजन में कम पानी का उपयोग किया गया।
उन्होंने BBMB के चेयरमैन को कई बार पत्र लिखकर यह आग्रह भी किया कि सभी राज्यों को अपने हिस्से का पानी ही इस्तेमाल करना चाहिए, खासकर गर्मियों के महीनों में।
पानी की मौजूदा स्थिति बेहद नाज़ुक
गोयल ने कहा कि हाल की स्थिति को देखते हुए पंजाब के लिए 4000 क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ना संभव नहीं है। उन्होंने साफ कर दिया कि जब राज्य खुद पानी की भारी कमी से जूझ रहा है, तब हरियाणा को अतिरिक्त पानी देना तर्कसंगत नहीं होगा।
इस पूरे मामले से स्पष्ट है कि आने वाले समय में पंजाब और हरियाणा के बीच पानी बंटवारे को लेकर विवाद और बढ़ सकता है, क्योंकि दोनों राज्यों को खेती और जीवन यापन के लिए पानी की सख्त जरूरत है।