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आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाया है कि उन्होंने संसद में उनके सवालों का जवाब देने की बजाय उन्हें ग़लत साबित करने की कोशिश की।
राघव चड्ढा ने कहा, “राज्यसभा में वित्त मंत्री ने मुझ पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया, लेकिन मुझे अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया।” उन्होंने बताया कि उन्होंने रेल यात्रियों की परेशानियों, मिडिल क्लास की आर्थिक समस्याओं और बजट से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे, लेकिन इन पर कोई चर्चा नहीं हुई।
टैक्स छूट को लेकर बहस
राघव चड्ढा ने वित्त मंत्री के आयकर छूट (Tax Rebate) पर दिए गए तर्कों को भी ग़लत बताया। उन्होंने कहा कि 12 लाख रुपये की टैक्स राहत को कर छूट (Tax Exemption) या कटौती (Tax Deduction) कहना सही नहीं है, यह केवल टैक्स रिबेट है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 13 लाख रुपये है, तो क्या उसे पूरे 13 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा या नहीं?” उन्होंने दावा किया कि अगर कोई व्यक्ति 12 लाख से 1 रुपये भी ज्यादा कमाता है, तो उसे पूरी आय पर टैक्स देना होगा।
राघव चड्ढा का कहना है कि वित्त मंत्री ने उनकी दी गई मिसाल को ग़लत साबित करने की कोशिश की, लेकिन असल मुद्दों पर जवाब नहीं दिया।
क्या है मामला?
दरअसल, राघव चड्ढा ने संसद में बजट पर चर्चा के दौरान आयकर स्लैब और मिडिल क्लास को मिल रही टैक्स छूट पर सवाल उठाए थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनके बयान को ग़लत बताते हुए कहा था कि उनकी दी गई जानकारी सही नहीं है और वे सदन को गुमराह कर रहे हैं।
इसके बाद राघव चड्ढा ने अब सफाई देते हुए कहा कि उनकी बात पूरी तरह सही थी और सरकार उनके सवालों से बच रही है।
इस बहस से यह साफ हो गया है कि आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच बजट और टैक्स नीतियों को लेकर मतभेद हैं। विपक्ष सरकार पर मिडिल क्लास की अनदेखी का आरोप लगा रहा है, जबकि सरकार कह रही है कि उनकी नीतियां सही हैं और विपक्ष सिर्फ भ्रम फैला रहा है।
अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या बहस होती है और क्या सरकार मिडिल क्लास को कोई और राहत देने के लिए तैयार होती है या नहीं।