भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का शनिवार को निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में सियासी बवाल मच गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे डॉ. सिंह की गरिमा का उल्लंघन और उनके प्रति अपमानपूर्ण कदम बताया है। दोनों नेताओं ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि यह कदम पूर्व प्रधानमंत्रियों के प्रति सम्मान की परंपरा के खिलाफ है।
राहुल गांधी का बयान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस फैसले पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करवा कर वर्तमान सरकार ने उनका खुला अपमान किया है। उन्होंने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह जी भारत माता के महान सपूत थे और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री थे। उन्होंने एक दशक तक देश की सेवा की और उनके नेतृत्व में भारत आर्थिक महाशक्ति बना। उनकी नीतियां आज भी देश के गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए सहारा हैं।”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि आज तक सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार उनकी गरिमा के मुताबिक सम्मानित समाधि स्थलों पर किया गया, ताकि लोग आसानी से श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। डॉ. मनमोहन सिंह को भी इस सम्मान का हक था, लेकिन वर्तमान सरकार ने उनका उचित सम्मान नहीं किया। गांधी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह देश के इस महान नेता और उनके समुदाय के प्रति आदर दिखाए।
अरविंद केजरीवाल का आरोप
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया गया, जबकि भारत के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार राजघाट पर होता आया है। डॉ. मनमोहन सिंह जी का, जो सिख समाज से हैं और पूरी दुनिया में सम्मानित नेता हैं, निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। यह अत्यंत अपमानजनक है।”
केजरीवाल ने आगे कहा, “बात ये है कि सिख समुदाय से आने वाले डॉ. सिंह को इस सरकार ने 1000 गज़ भी भूमि देने से इनकार कर दिया, जो राजघाट पर उनकी समाधि के लिए दी जाती है। यह सरकार उनके प्रति बिल्कुल भी सम्मान नहीं दिखा रही है।” उन्होंने इस कदम को सरकार की नासमझी और पूर्व प्रधानमंत्री के प्रति असंवेदनशीलता के रूप में देखा।
राजनीतिक बवाल
इस मुद्दे पर भाजपा और केंद्र सरकार की चुप्पी के बीच यह विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह डॉ. मनमोहन सिंह के प्रति न केवल उनके व्यक्तित्व का अपमान है, बल्कि भारतीय राजनीति की एक सम्मानजनक परंपरा का भी उल्लंघन है।
वहीं, भाजपा ने अभी तक इस विवाद पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह मामला भारतीय राजनीति में एक नई बहस का कारण बन सकता है, जिसमें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहेगा।