कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी ने शनिवार (4 जनवरी) को IIT मद्रास के छात्रों के साथ संवाद किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के विकास दृष्टिकोण, शिक्षा की आवश्यकता, और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के महत्व पर अपनी राय रखी। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा की विचारधारा में अंतर को रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों दलों के विकास मॉडल अलग हैं और इसका सीधा असर समाज और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
कांग्रेस और भाजपा के विकास दृष्टिकोण में अंतर
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस का विकास मॉडल समावेशी और न्यायसंगत है। उन्होंने स्पष्ट किया, “कांग्रेस का मानना है कि संसाधनों का वितरण ज्यादा न्यायपूर्ण तरीके से होना चाहिए ताकि समाज के हर वर्ग को इसका लाभ मिले।” इसके विपरीत उन्होंने भाजपा के विकास दृष्टिकोण को “ट्रिपल-डाउन” मॉडल करार दिया।
“ट्रिपल-डाउन” मॉडल का अर्थ है कि विकास के लाभ सबसे पहले समाज के ऊपर के वर्गों को मिलते हैं और धीरे-धीरे यह लाभ निचले वर्गों तक पहुंचता है। राहुल गांधी ने इस दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए कहा कि यह समाज में असमानता को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का उद्देश्य ऐसा समाज बनाना है जो ज्यादा समरस, सौहार्दपूर्ण और संघर्ष-रहित हो। उन्होंने जोर दिया कि कम संघर्ष वाला समाज देश के विकास के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर राहुल गांधी की राय
राहुल गांधी ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मुद्दे पर भी बात की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के दृष्टिकोण में भिन्नताएं हो सकती हैं, लेकिन जब बात अन्य देशों के साथ संबंधों की आती है, तो यह काफी हद तक समान ही रहते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखना चाहिए।
शिक्षा में निवेश की जरूरत
शिक्षा के महत्व पर बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सरकारों को शिक्षा की गुणवत्ता और समानता सुनिश्चित करने के लिए सीधे तौर पर इसमें निवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा, “सरकारों को निजीकरण और वित्तीय प्रोत्साहनों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, उन्हें शिक्षा में सीधा निवेश करना चाहिए।”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि गुणवत्ता युक्त और समान शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान का प्रसार करना नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को समान अवसर प्रदान करने का एक साधन है। यह कदम न केवल शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाएगा, बल्कि सामाजिक और आर्थिक असमानता को भी कम करेगा।
रिसर्च और इनोवेशन पर जोर
राहुल गांधी ने छात्रों को पारंपरिक करियर विकल्पों से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक मंच पर सशक्त नेता के रूप में उभरने के लिए रिसर्च, इनोवेशन और क्रिएटिविटी को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि असली इनोवेशन तब होता है जब छात्र अपनी स्किल्स को व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने जोर दिया, “अगर हम रिसर्च और विकास में पैसा लगा रहे हैं, लेकिन उत्पादन और व्यावसायिक उपयोग पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, तो वह सिर्फ एक खर्च बनकर रह जाएगा।” राहुल गांधी का मानना है कि रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने से न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि यह छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए भी तैयार करेगा।
शिक्षा की परिभाषा पर चर्चा
राहुल गांधी ने शिक्षा की परिभाषा पर चर्चा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य सिर्फ डॉक्टर, इंजीनियर या वकील बनाना नहीं होना चाहिए। उन्होंने छात्रों को नए और रचनात्मक रास्ते अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और नई संभावनाओं को खोजने में सक्षम बनाना होना चाहिए।
छात्रों के लिए प्रेरणादायक संवाद
राहुल गांधी का यह संवाद छात्रों के लिए न केवल प्रेरणादायक था, बल्कि उन्होंने छात्रों को उनके करियर और समाज में उनकी भूमिका के महत्व पर भी जागरूक किया। उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे शिक्षा को सिर्फ नौकरी पाने का माध्यम न मानें, बल्कि इसे समाज के विकास और देश की प्रगति में योगदान देने का जरिया बनाएं।
इस संवाद ने छात्रों को सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर सोचने और अपने योगदान को समझने के लिए प्रेरित किया। राहुल गांधी का यह विचारशील दृष्टिकोण भारत के युवा वर्ग को नई दिशा देने की एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।