किसानों की मांगों को लेकर प्रदर्शन तेज, रेल रोको आंदोलन का ऐलान
देशभर में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन तेज हो गया है। 16 दिसंबर को पंजाब से 101 किसानों का जत्था दिल्ली की ओर रवाना हुआ था, जिसे हरियाणा पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर रोक दिया। इसके बाद किसान नेताओं ने अपना विरोध और तेज कर दिया है। आज, 18 दिसंबर को किसान मजदूर संघर्ष समिति ने पंजाब में दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया है।
रेल रोको आंदोलन और किसानों की प्रमुख मांगें
पटियाला में किसान मजदूर संघर्ष समिति के प्रधान सरवन सिंह पंढेर ने ऐलान किया कि पंजाब के 23 स्थानों पर रेल सेवाएं रोकी जाएंगी। उन्होंने कहा कि किसानों की मुख्य मांग एमएसपी गारंटी कानून लागू करना है। इसके साथ ही उन्होंने देशभर के किसानों और मजदूरों के कर्ज माफ करने की मांग भी उठाई। पंढेर ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों की मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
केंद्र और विपक्ष पर आरोप
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष संसद में किसानों की आवाज को सही तरीके से नहीं उठा रहा है। साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने पूछा कि वह किसानों के लिए क्या कर रहे हैं।
आमरण अनशन जारी, किसानों का समर्थन बढ़ा
जगजीत सिंह दल्लेवाल, जो खनौरी में आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं, ने बताया कि उनका अनशन 22 दिनों से जारी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की समिति के चेयरमैन को पत्र लिखते हुए अपनी मांगों को स्पष्ट किया। दल्लेवाल ने कहा कि सरकार को किसानों के अधिकारों के प्रति गंभीर होना पड़ेगा। उनके अनशन के कारण अन्य किसान संगठनों पर भी दबाव बढ़ रहा है।
शंभू बॉर्डर पर पुलिस कार्रवाई
16 दिसंबर को जब किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे, तो शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान 40 से अधिक किसान घायल हो गए। घटना के बाद किसान नेताओं ने इसे सरकारी दमन करार दिया।
किसान संगठनों की बैठक
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता सरवन सिंह पंढेर ने अन्य किसान संगठनों से आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसानों के अधिकारों और भविष्य की लड़ाई है। पंढेर ने यह भी बताया कि 19 दिसंबर को कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां किसान संगठनों के साथ बैठक करेंगे।
फसल विपणन मसौदे पर चर्चा
किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित फसल विपणन के मसौदे पर भी असंतोष व्यक्त किया। किसान नेता राजेवाल ने कहा कि यह मसौदा किसानों के हितों को सुरक्षित करने में विफल है और सरकार को इसे पुनः विचार करना होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा से दूरी
अब तक 32 किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) से अलग रहे थे। लेकिन दल्लेवाल के आमरण अनशन के बाद इन संगठनों पर भी आंदोलन में शामिल होने का दबाव बढ़ रहा है।
किसानों का आंदोलन केंद्र सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा है। एमएसपी गारंटी कानून, कर्ज माफी और किसानों के अन्य मुद्दों को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत के नतीजे इस आंदोलन की दिशा तय करेंगे।