रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की मैनुफैक्चरिंग प्रक्रिया में देरी की खबरों को खारिज कर दिया है। हाल ही में यह दावा किया गया था कि ट्रेन के डिजाइन से संबंधित मंजूरी में देरी हो रही है, जिसके कारण निर्माण प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। यह रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि रूसी कंपनी ट्रांसमाशहोल्डिंग (टीएमएच) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी थी कि भारतीय रेलवे ने ट्रेन के डिजाइन में बदलाव की मांग की है, जिनमें शौचालय और पेंट्री कार का समावेश है।
रेल मंत्री का खंडन
रेल मंत्री ने इन सभी दावों को निराधार बताते हुए कहा कि डिजाइन में कोई भी समस्या नहीं है और इस प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आ रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ट्रांसमाशहोल्डिंग (टीएमएच) के लिए ट्रेन के डिजाइन में कोई मसला नहीं था और सभी तकनीकी मुद्दों को हल कर लिया गया है। मंत्रालय ने डिजाइन में बदलाव की कोई मांग नहीं की थी, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था। इस तरह की खबरों को खारिज करते हुए वैष्णव ने बताया कि कंपनी ने सभी आवश्यक दस्तावेज मंत्रालय को भेज दिए थे और मंत्रालय की मंजूरी के बाद काम आगे बढ़ेगा।
प्रोडक्शन की गति बढ़ाई जा रही है
भारतीय रेलवे वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के प्रोडक्शन में तेजी लाने के लिए काम कर रहा है। यह ट्रेनें लंबी दूरी और रात भर के सफर के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई हैं, ताकि यात्रियों को आरामदायक और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव हो। पहले चरण में, वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के निर्माण के लिए 1920 कोच बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए काम राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर और अन्य सहयोगी कंपनियों के साथ मिलकर किया जा रहा है।
वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण के लिए साझेदार कंपनियाँ
बीईएमएल के अलावा, राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के लिए निर्माण ठेका तीन कंपनियों को दिया है। इनमें से एक काइनेट रेलवे सॉल्यूशन है, जो टीएमएच (रूसी रोलिंग स्टॉक प्रमुख) और रेल विकास निगम लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है। इसके अलावा, टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड और भारत हैवी इंजीनियरिंग लिमिटेड (बीएचईएल) का संघ भी इस परियोजना में भागीदार है। काइनेट रेलवे सॉल्यूशन के तहत, भारतीय रेलवे के वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के कोचों का उत्पादन किया जाएगा। यह अनुबंध 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है।
पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का रूट
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का पहला कॉमर्शियल ऑपरेशन जनवरी 2025 में शुरू होने की उम्मीद है। पहली ट्रेन नई दिल्ली से श्रीनगर के रूट पर चलेगी। यह ट्रेन सेमी-हाई-स्पीड होगी, जो उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक पर चलेगी। इस ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों को बेहतर और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिलेगा।
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन नई दिल्ली और श्रीनगर के बीच 800 किलोमीटर से अधिक की दूरी को 13 घंटे से कम समय में तय करेगी। यह यात्रा जम्मू और कश्मीर घाटी के बीच पहली सीधी रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, जो कि अब तक नहीं थी। इस ट्रेन के आने से, नई दिल्ली और श्रीनगर के बीच रेल यात्रा अधिक सुविधाजनक और तेज़ हो जाएगी, जो पहले से लंबी सड़क यात्रा के मुकाबले एक बेहतर विकल्प साबित होगी।
अवधारणाओं को बदलने की दिशा में एक कदम
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन भारतीय रेलवे की आधुनिकता और यात्री सुविधाओं में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इससे न केवल लंबी दूरी के सफर में आराम और सुविधाएं बढ़ेंगी, बल्कि रेलवे की आधुनिकता को भी एक नया आयाम मिलेगा। रेलवे के लिए यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो भारतीय रेल नेटवर्क की गति और क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
रेल मंत्री द्वारा वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की मैनुफैक्चरिंग में देरी की खबरों को खारिज करना और निर्माण प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए उठाए गए कदम यह दर्शाते हैं कि भारतीय रेलवे इस परियोजना को शीघ्रता से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का संचालन भारतीय रेल नेटवर्क में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है, जो यात्रियों के लिए सुविधाजनक और आधुनिक यात्रा का अनुभव प्रदान करेगा।