
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर में बनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस एकीकरण और परीक्षण सुविधा का वर्चुअल उद्घाटन किया। यह परियोजना लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई है और इसे भारत के आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की दिशा में एक मजबूत प्रयास माना जा रहा है।
क्या है ये ब्रह्मोस फेसेलिटी?
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह केंद्र केवल मिसाइल निर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें टेस्टिंग, एसेम्बली (एकीकरण) और एयरोस्पेस-ग्रेड कंपोनेंट्स का निर्माण भी किया जाएगा। इसे भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की दिशा में एक रणनीतिक छलांग माना जा रहा है। साथ ही यह उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा देगा।
राजनाथ सिंह का बयान
इस उद्घाटन के मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा, “यह नया भारत है, जो चुनौतियों से डरता नहीं है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ज़िक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद चाहे सीमा के इस पार हो या उस पार, उसका करारा जवाब दिया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह सुविधा भारत को सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी।
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, यह यूनिट दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल में से एक ब्रह्मोस का निर्माण करेगी। इस मिसाइल की रेंज 290 से 400 किलोमीटर तक होगी और इसकी गति मैक 2.8 (आवाज़ से लगभग तीन गुना तेज) तक होगी। यह मिसाइल जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च की जा सकती है, जिससे इसकी उपयोगिता बहुत व्यापक हो जाती है।
कितनी बड़ी है यह यूनिट?
यह ब्रह्मोस निर्माण यूनिट करीब 80 हेक्टेयर ज़मीन में फैली हुई है, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने मुफ्त में उपलब्ध कराया है। खास बात यह है कि यह यूनिट सिर्फ साढ़े तीन साल में पूरी की गई है, जो तेज़ी से बढ़ते रक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर को दर्शाता है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस की यह नई फेसेलिटी भारत की रक्षा क्षमताओं को और अधिक मजबूत बनाएगी। इससे जहां युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, वहीं भारत की मिसाइल निर्माण क्षमता को भी नया मुकाम मिलेगा। यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और सशक्त कदम है।