
पंजाब से राज्यसभा सांसद बलबीर सिंह सीचेवाल ने आज संसद के बजट सत्र के दौरान किसानों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने किसानों की कर्ज़माफी और उनकी आय बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
सीचेवाल ने संसद में दिए गए अपने भाषण में कहा कि सरकार ने सांसदों के वेतन में 24% की वृद्धि की है, लेकिन किसानों की आय दोगुनी करने का वादा अब तक पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि “किसान देश का पेट भरता है, लेकिन खुद भूखा सोने को मजबूर है।” आज किसान आर्थिक तंगी से खुदकुशी करने को मजबूर हैं, और सरकार को इस पर तुरंत कदम उठाने चाहिए।
“किसानों की कर्ज़माफी होनी चाहिए”
सीचेवाल ने कहा कि पंजाब सरकार पर 3.73 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ है, जबकि राज्य की जनसंख्या 3.20 करोड़ है। इसका सीधा असर किसानों और मज़दूरों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब समेत पूरे देश के किसानों और मज़दूरों का कर्ज़ माफ किया जाए, ताकि वे आर्थिक संकट से उबर सकें। “अगर किसान बचेगा, तभी उस पर निर्भर मज़दूर भी बचेगा,” उन्होंने कहा।
सीचेवाल ने कहा कि महंगाई की सबसे ज्यादा मार गरीब तबके पर पड़ी है। खासकर किसान और मज़दूर महंगाई से त्रस्त हैं, इसलिए सरकार को उनकी आय बढ़ाने के लिए ठोस नीतियां लागू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों को उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देनी चाहिए और इसे कानूनी रूप से लागू करना चाहिए।
भारत-पाकिस्तान बॉर्डर खोलने से होगा किसानों को लाभ
सीचेवाल ने भारत-पाकिस्तान सीमा को खोलने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि यदि दोनों देशों के बीच व्यापार के रास्ते खोले जाएं, तो पंजाब के किसानों को बड़ा आर्थिक लाभ मिल सकता है। उन्होंने कहा कि सीमा पर व्यापारिक गतिविधियां बढ़ाने से किसानों को अपनी फसलें बेहतर दामों पर बेचने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सकती है।
“किसानों के लिए सरकार को गंभीर होना चाहिए”
सीचेवाल ने सरकार को याद दिलाया कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया गया था, लेकिन यह वादा अब तक अधूरा है। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की वास्तविक स्थिति को समझकर उनके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
“किसान हमारी रीढ़ की हड्डी हैं, उनकी समस्याओं को हल किए बिना देश की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो सकती,” उन्होंने संसद में कहा।
सीचेवाल की इस मांग से किसानों के हितों की आवाज एक बार फिर संसद में गूंज उठी है और अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।